क्या आपके बच्चे के भी हैं Flat Foot? जानिए कारण, असर और समाधान

India Briefs Team
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बच्चों में Flat Foot: कारण, लक्षण और समाधान

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आपके बच्चे के पैरों में तले के बीच में वह सामान्य आर्च (curve) नहीं है, जो आमतौर पर दिखाई देता है? यदि बच्चे के पैर ज़मीन पर पूरी तरह से चिपके हुए लगते हैं, तो यह स्थिति फ्लैट फुट (Flat Foot) कहलाती है।

हालांकि यह बचपन में सामान्य माना जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह उम्र के साथ ठीक नहीं होता और आगे चलकर चलने-फिरने में परेशानी और दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए समय रहते इस पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।


Flat Foot क्या होता है?

Flat Foot वह स्थिति है जब पैरों के तलवे में मौजूद आर्च (Arch) विकसित नहीं हो पाता या गिर जाता है, जिसके कारण पूरा पैर ज़मीन से चिपक जाता है।

इस आर्च का कार्य होता है शरीर के वजन को संतुलित रूप से सहारा देना और चलने में स्प्रिंग जैसा काम करना।


बच्चों में Flat Foot की कितनी आम समस्या है?

  • 0-2 वर्ष की उम्र तक: लगभग सभी बच्चों के पैर फ्लैट होते हैं क्योंकि उनकी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ अभी विकासशील होती हैं।
  • 3-6 वर्ष की उम्र में: अधिकतर बच्चों में धीरे-धीरे आर्च विकसित हो जाता है।
  • 6 वर्ष के बाद भी अगर फ्लैट फुट बना रहे, तो यह स्थायी फ्लैट फुट माना जाता है, जिस पर चिकित्सा सलाह आवश्यक होती है।

Flat Foot के प्रमुख कारण

जन्म से (Congenital Flat Foot)
कुछ बच्चों में जन्म से ही यह स्थिति होती है, जो आनुवंशिक भी हो सकती है।

अत्यधिक वजन (Obesity)
अधिक वजन से पैरों पर दबाव बढ़ता है और आर्च गिर सकता है।

कमजोर मांसपेशियां (Muscle Weakness)
मांसपेशियों और लिगामेंट्स का कमजोर होना फ्लैट फुट की वजह बन सकता है।

अत्यधिक खड़े रहना या गलत जूते पहनना
गलत तरीके के फुटवियर पहनने से भी बच्चों के पैर का ढांचा प्रभावित होता है।

स्नायु संबंधी रोग (Neuromuscular Disorders)
जैसे कि सेरेब्रल पाल्सी या डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में फ्लैट फुट की संभावना अधिक होती है।


कैसे पहचानें Flat Foot?

बच्चों में सामान्य लक्षण:

  • पैर की आर्च न दिखाई देना
  • जूते जल्दी घिस जाना (विशेषकर अंदर की ओर)
  • चलने या दौड़ने में जल्दी थकावट
  • एड़ी या घुटने में दर्द की शिकायत
  • पैरों का जल्दी थक जाना या भारी लगना
  • खेलकूद में रुचि की कमी

सरल परीक्षण:

बच्चे को नंगे पैर गीली जगह पर चलवाएं और उसके पैरों के निशान देखें। अगर पूरा तलवा जमीन से चिपका हुआ दिखाई देता है, तो संभव है कि वह फ्लैट फुट का शिकार हो।

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क्या Flat Foot से कोई नुकसान होता है?

हर फ्लैट फुट हानिकारक नहीं होता, लेकिन यह स्थिति आगे चलकर निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न कर सकती है:

  • पैर, एड़ी और घुटने में क्रॉनिक दर्द
  • संतुलन की समस्या
  • जल्दी थकान और स्पोर्ट्स एक्टिविटी में परेशानी
  • गलत तरीके से चलने की आदत (Gait problems)
  • भविष्य में कमर या कूल्हे में दर्द

उपचार और समाधान

फुट ऑर्थोटिक्स (Foot Orthotics)

डॉक्टर की सलाह पर खास सोल (Arch Support Insole) दिया जाता है, जो जूते में रखकर पहना जाता है और आर्च को सहारा देता है।

फिजियोथेरेपी

कुछ खास एक्सरसाइज जैसे टॉवल क्रंच, हील रेज़, और बरेफुट एक्सरसाइज पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करती हैं।

वजन नियंत्रण

यदि बच्चा अधिक वजन का है, तो संतुलित डाइट और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से वजन कम करना आवश्यक है।

सही फुटवियर चुनें

कुशनिंग वाले, आर्च सपोर्ट युक्त, और सही फिट वाले जूते बच्चों को पहनाएं। बहुत टाइट या बहुत ढीले जूते न पहनाएं।

सर्जरी (केवल गंभीर मामलों में)

यदि फ्लैट फुट के कारण बच्चा चलने में कठिनाई महसूस कर रहा हो और अन्य उपाय असरदार न हों, तो सर्जरी की सलाह दी जाती है।


घरेलू उपाय जो मदद कर सकते हैं

  • बच्चे को नंगे पैर घास पर चलने के लिए प्रेरित करें।
  • सुबह के समय सूर्य की रोशनी में कुछ देर चलवाना हड्डियों को मजबूती देता है।
  • तिल या सरसों के तेल से पैरों की नियमित मालिश करें।

Flat Foot के लिए व्यायाम

  1. Towel Curl Exercise
    एक तौलिया ज़मीन पर फैलाएं और पैरों की उंगलियों से उसे खींचें। यह आर्च बनाने में सहायक है।
  2. Heel Raise Exercise
    पैरों की एड़ी उठाकर कुछ देर खड़े रहें। यह मांसपेशियों को मज़बूती देता है।
  3. Rolling Exercise
    एक पानी की बोतल को तलवे के नीचे रखकर आगे-पीछे रोल करें। यह तलवे की स्ट्रेचिंग में सहायक है।

Flat Foot कोई बीमारी नहीं है, लेकिन अगर यह लक्षण उत्पन्न करने लगे या बच्चे की दिनचर्या में बाधा बनने लगे, तो इसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। समय रहते पहचान और उचित देखभाल से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

एक अभिभावक के रूप में आप यदि अपने बच्चे के पैरों पर ध्यान देंगे, तो भविष्य में उसके चलने-फिरने, दौड़ने और खेलने में कोई समस्या नहीं आएगी। सही समय पर उठाया गया कदम बच्चे के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।

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