पति को नहीं मिलता पत्नी की पैतृक संपत्ति पर अधिकार, जानिए असली कानूनी वारिस कौन होता है

India Briefs Team
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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (पति -पत्नी संपत्ति)

भारतीय समाज में अक्सर यह मान्यता देखी जाती है कि शादी के बाद पति को पत्नी की संपत्ति पर स्वतः अधिकार मिल जाता है। लेकिन सच यह है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, पति को पत्नी की पैतृक संपत्ति पर कोई वैधानिक अधिकार नहीं होता, जब तक कि महिला ने उसे वसीयत में नामित न किया हो।

क्यों नहीं होता पति का हक पत्नी की पैतृक संपत्ति पर?

यदि कोई विवाहित हिंदू महिला अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति की उत्तराधिकारी बनती है और उसकी असमय मृत्यु हो जाती है — बिना वसीयत के — तो वह संपत्ति उसके पति को नहीं, बल्कि महिला के मायके पक्ष को लौट जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि कानून के अनुसार महिला की संपत्ति का उत्तराधिकार पहले उसकी अपनी रक्त संबंधी प्राथमिक श्रेणी (Class-I) के वारिसों को जाता है।

Section 15(2)(a): If a female Hindu dies intestate and the property she inherited from her father or mother, then in absence of her children and husband, such property shall devolve upon the heirs of her father.

कौन होते हैं महिला की संपत्ति के कानूनी वारिस?

यदि महिला की वसीयत नहीं है, तो उसके वैधानिक उत्तराधिकारी निम्नलिखित होते हैं:

  • पति (Husband)
  • संतान (Son and Daughter) – जैविक या गोद लिए हुए
  • मृत संतान के जीवित संतान (Grandchildren through deceased child)

उदाहरण:
यदि महिला की दो संतान हैं और एक की मृत्यु हो चुकी है, तो मृत संतान के बच्चे भी उत्तराधिकार में अपना हिस्सा पाते हैं। यानी चार हिस्से होंगे, जिनमें मृत संतान के दो बच्चे आधा-आधा हिस्सा (1/8+1/8) पाएंगे।

2. अगर संतान नहीं है तो संपत्ति किसे मिलेगी?

यदि महिला की कोई संतान नहीं है और वह वसीयत भी नहीं छोड़ गई है, तो उसकी पैतृक संपत्ति उसके मायके यानी माता-पिता के परिवार को जाएगी — न कि पति या ससुराल पक्ष को।

यह कानूनी स्थिति कई लोगों के लिए चौंकाने वाली हो सकती है, लेकिन यह महिला की पारिवारिक जड़ों और व्यक्तिगत पहचान की रक्षा के लिए बनाई गई है।

क्या वसीयत से पति को अधिकार मिल सकता है?

हां। यदि महिला ने कानूनी रूप से वैध वसीयत बनाई है और उसमें पति को उत्तराधिकारी नामित किया है, तो वह संपत्ति पति को दी जा सकती है।
वसीयत (Will) महिला को यह शक्ति देती है कि वह अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी व्यक्ति, संस्था या समूह को संपत्ति सौंप सके।

अगर महिला की संपत्ति स्वयं की कमाई से अर्जित है तो?

यदि महिला ने संपत्ति स्वयं की कमाई से अर्जित (Self-Acquired Property) की है और उसकी मृत्यु के समय कोई वसीयत, पति या संतान मौजूद नहीं है, तो उस स्थिति में वह संपत्ति महिला के पति के उत्तराधिकारी को मिल सकती है — जैसे सास, जेठ आदि।

यह स्थिति उन महिलाओं के लिए गंभीर हो सकती है जो चाहती हैं कि उनकी संपत्ति उनके मायके या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जाए, न कि ससुराल पक्ष को।

वसीयत बनाना क्यों है ज़रूरी?

वसीयत न केवल आपकी इच्छानुसार संपत्ति का वितरण सुनिश्चित करती है, बल्कि इससे कानूनी विवाद और पारिवारिक तनाव से भी बचा जा सकता है।
आज के दौर में जब महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, Estate Planning का हिस्सा बनाना और वसीयत तैयार करवाना एक महत्वपूर्ण कदम बन चुका है।


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वसीयत न बनाने पर हो सकते हैं ये नुकसान:

  • गलत व्यक्ति को संपत्ति मिल सकती है
  • ससुराल पक्ष और मायके में संपत्ति को लेकर विवाद
  • कानूनी केस और कोर्ट का समय-व्यय

पत्नी की पैतृक संपत्ति पर पति का कोई स्वतःसिद्ध अधिकार नहीं होता। यह एक कानूनी प्रक्रिया है जो महिला की मृत्यु के बाद वसीयत, संतान की उपस्थिति और रिश्तों के आधार पर तय होती है।
अगर कोई महिला चाहती है कि उसकी संपत्ति किसी विशेष व्यक्ति (जैसे पति, मित्र या संस्था) को मिले, तो वसीयत बनाना अनिवार्य है।

जागरूक बनें, संपत्ति विवाद से बचें।
अगर आप अपनी या अपने परिवार की संपत्ति को लेकर किसी भ्रम में हैं तो योग्य कानूनी सलाहकार से संपर्क करें और समय रहते आवश्यक दस्तावेज तैयार करवाएं।


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