अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की एक फ्लाइट टेकऑफ के तुरंत बाद हादसे का शिकार हो गई। इस दुखद घटना की जांच जारी है। इस मौके पर हम भारत के विमानन इतिहास की कुछ बड़ी और दर्दनाक हवाई दुर्घटनाओं पर नजर डालते हैं। इनमें 1996 का छारखी दादरी मिड-एयर कोलिजन, 2010 में मंगलौर एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसा और 2020 का कोझिकोड रनवे क्रैश शामिल हैं। ये हादसे न केवल सैकड़ों जिंदगियों को निगल गए, बल्कि हवाई सुरक्षा मानकों को लेकर कई अहम सबक भी दे गए।
अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान हादसा
12 जून 2025 को अहमदाबाद के सदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भर रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 (Boeing 787‑8) टेकऑफ़ के तुरंत बाद मेघानीनगर निवासी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में कुल 242 यात्री व चालक दल थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और एक कनाडाई शामिल हैं। विमान केवल लगभग 625 फीट ऊँचाई तक पहुँच पाया था और इसके बाद जमीन पर गिर गया, जिससे भीषण आग लग गई और आसपास का क्षेत्र धुएँ से भर गया। हादसे की जांच शुरू हो चुकी है और एयर इंडिया, एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ व बोइंग इसके तकनीकी व कारण संबंधी विवरण इकट्ठा करने में जुटे हैं।

7 अगस्त, 2020: कोझिकोड एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसा
7 अगस्त 2020 को दुबई से कोझिकोड आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट (IX-1344) लैंडिंग के दौरान केरल के कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रनवे से फिसल गई। विमान बारिश के बीच लैंड कर रहा था और फिसलने के बाद खाई में गिरकर दो टुकड़ों में टूट गया। इस दुखद हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें पायलट और को-पायलट भी शामिल थे, जबकि 172 यात्री सुरक्षित बचा लिए गए। यह हादसा टेबलटॉप रनवे की खतरनाक स्थिति और मौसम की खराबी के कारण हुआ था, जिसने भारत की विमानन सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए।

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22 मई, 2010: मैंगलोर एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान दुर्घटना
22 मई 2010 को दुबई से आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-812 मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान रनवे से आगे निकल गई और खाई में गिर गई। यह विमान दुर्घटना भारत के सबसे भयावह हवाई हादसों में से एक बन गई, जिसमें 158 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और केवल 8 यात्री ही चमत्कारी रूप से बच पाए। टेबलटॉप रनवे, अधिक गति और खराब मौसम को इस हादसे के प्रमुख कारण माना गया। यह घटना विमानन सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ा सबक बनी और देश भर में रनवे सुरक्षा पर फिर से विचार शुरू हुआ।

17 जुलाई, 2000: पटना में अलायंस एयर फ्लाइट 7412 हादसा
17 जुलाई 2000 को दिल्ली से पटना आ रही अलायंस एयर की फ्लाइट 7412, पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान नियंत्रण खो बैठी और एक आवासीय इलाके में जा गिरी। इस दर्दनाक हादसे में 55 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि ज़मीन पर मौजूद 5 लोगों की भी जान चली गई। विमान शहर के पास दीघा क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए। तकनीकी खराबी, पायलट की गलती और पुराने हवाई अड्डे की सीमाएं इस त्रासदी के पीछे की प्रमुख वजहें मानी गईं। यह हादसा भारत के सबसे दर्दनाक शहरी विमान दुर्घटनाओं में से एक था।

12 नवंबर, 1996: चरखी दादरी में मिड-एयर क्रैश – सबसे भयावह हवाई हादसा
12 नवंबर 1996 को हरियाणा के चरखी दादरी के पास हवा में दो विमानों की टक्कर ने भारत ही नहीं, दुनिया के विमानन इतिहास का एक काला अध्याय लिखा। सऊदी अरब एयरलाइंस का बोइंग 747 और कज़ाखस्तान एयरलाइंस का IL-76 मालवाहक विमान हवा में आमने-सामने टकरा गए। इस भयानक मिड-एयर क्रैश में दोनों विमानों में सवार सभी 349 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हुई संचार गड़बड़ी और ऊँचाई संबंधी भ्रम के कारण हुआ। यह भारत के इतिहास की सबसे घातक हवाई दुर्घटना थी और इसके बाद भारत में एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम में कई सुधार किए गए।

26 अप्रैल, 1993: औरंगाबाद में रनवे पर विमान और ट्रक की टक्कर
26 अप्रैल 1993 को औरंगाबाद हवाई अड्डे पर एक भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट टेकऑफ़ के दौरान एक ट्रक से टकरा गई। यह भयानक टक्कर रनवे पर हुई, जिससे विमान में आग लग गई और अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में 55 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 66 लोग घायल हुए। जांच में सामने आया कि रनवे पर मौजूद ट्रक बिना अनुमति के आया था, जिससे यह टक्कर हुई। यह दुर्घटना हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था और ग्राउंड स्टाफ की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

16 अगस्त, 1991: इंफाल में भारतीय एयरलाइंस फ्लाइट क्रैश
16 अगस्त 1991 को भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC-257 इंफाल एयरपोर्ट पर उतरने की प्रक्रिया में थी, जब वह पहाड़ी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में कुल 69 लोगों की मौत हो गई। विमान में सवार अधिकतर यात्री छुट्टियां बिताने जा रहे थे। खराब मौसम, कम दृश्यता और नेविगेशनल त्रुटियों को इस दुर्घटना का मुख्य कारण माना गया। यह हादसा उत्तर-पूर्व भारत के लिए एक बड़ी त्रासदी साबित हुआ और इसके बाद पहाड़ी इलाकों में विमान संचालन के लिए सुरक्षा मानकों को और सख्त किया गया।

14 फरवरी, 1990: बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास भारतीय एयरलाइंस फ्लाइट क्रैश
14 फरवरी 1990 को मुंबई से बेंगलुरु आ रही भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC-605 बेंगलुरु के हलासुरु झील के पास लैंडिंग से ठीक पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान ज़मीन से टकराने के बाद टुकड़ों में बिखर गया और उसमें आग लग गई। इस दर्दनाक हादसे में 92 लोगों की जान चली गई, जबकि कुछ यात्री गंभीर रूप से घायल हुए। जांच में सामने आया कि पायलट से हुई एक चूक और खराब दृश्यता इस हादसे के मुख्य कारण थे। यह घटना उस समय भारतीय विमानन के लिए एक बड़ा झटका थी और उसके बाद पायलट प्रशिक्षण व सुरक्षा दिशानिर्देशों को और कठोर बनाया गया।

21 जून, 1982: मुंबई में एयर इंडिया विमान हादसा – तूफ़ान बना कारण
21 जून 1982 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-403, जो बंगलुरु से मुंबई आ रही थी, खराब मौसम और भारी बारिश के बीच छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (तत्कालीन सांताक्रूज़ एयरपोर्ट) पर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान रनवे से फिसलकर जलभराव वाले इलाके में घुस गया, जिससे उसमें आग लग गई। इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि 94 यात्री सुरक्षित बाहर निकलने में कामयाब रहे।
यह घटना उस समय भारतीय विमानन प्रणाली में मौसम की पूर्व चेतावनी और लैंडिंग गाइडेंस की सीमाओं को उजागर करती है। बाद में मौसम से जुड़ी सुरक्षा तकनीकों में सुधार के लिए यह हादसा एक चेतावनी बन गया।

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