नई दिल्ली: क्या आप भी उन लाखों लोगों में से एक हैं जो रोजाना 7 से 9 घंटे सोते हैं, लेकिन फिर भी दिनभर थकान, भारीपन और आलस महसूस करते हैं? यदि हां, तो यह समस्या सामान्य नहीं है और इसे नजरअंदाज करना आपके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अच्छी नींद केवल घंटों में नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता में छुपी होती है। कई बार शरीर को बाहरी रूप से आराम तो मिल जाता है, लेकिन आंतरिक असंतुलन और खराब आदतें आपकी ऊर्जा को प्रभावित करती हैं।
आइए जानें कि आखिर किन कारणों से आपको भरपूर सोने के बावजूद भी थकान सताती है, और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
केवल नींद का समय नहीं, गुणवत्ता भी मायने रखती है
कई बार हम सिर्फ इस बात से संतुष्ट हो जाते हैं कि हमने 8 घंटे सो लिया है। लेकिन अगर यह नींद बार-बार टूटती रही हो, या फिर आप गहरी नींद (Deep Sleep) के स्टेज तक नहीं पहुंचे हों, तो यह शरीर के लिए पर्याप्त नहीं होती।
इसकी की गुणवत्ता यानी कितनी बार नींद टूटी, कितनी देर गहरी नींद मिली, और सुबह उठने के बाद ऊर्जा का स्तर क्या था—यह सभी बातें आपकी थकान से जुड़ी होती हैं।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
शरीर में हार्मोन एक तरह से आपके संपूर्ण सिस्टम के कमांड सेंटर होते हैं। अगर इनका संतुलन बिगड़ जाए, तो इसका सीधा असर नींद और ऊर्जा पर पड़ता है।
मुख्य हार्मोनल कारण:
- कोर्टिसोल (Cortisol): यह स्ट्रेस हार्मोन है। अगर इसका स्तर ज्यादा हो जाए, तो रात में मेलाटोनिन का स्तर घटता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- थायरॉयड हार्मोन (Thyroxine): हाइपोथायरॉयडिज्म की स्थिति में मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे शरीर सुस्त और थका हुआ महसूस करता है।
सुबह उठते ही थकावट महसूस होना, मानसिक सुस्ती और मसल्स पेन हार्मोनल इंबैलेंस के संकेत हो सकते हैं।
इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी (Electrolyte Deficiency)
शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे मैग्नीशियम, पोटैशियम और सोडियम का संतुलन नींद और ऊर्जा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यदि ये कम हों, तो:
- बार-बार जगना
- मसल्स में जकड़न महसूस होती है
- गहरी नींद नहीं आती
- सुबह जागने पर तरोताजा महसूस नहीं होता
इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी अक्सर असंतुलित डाइट, अत्यधिक पसीना या डिहाइड्रेशन की वजह से होती है।
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नींद की खराब गुणवत्ता (Poor Sleep Hygiene)
अगर आप सोने से पहले देर तक मोबाइल चलाते हैं, या कैफीन और शराब का सेवन करते हैं, तो यह नींद की लय (Circadian Rhythm) को प्रभावित कर सकता है।
आम कारण:
- देर रात स्क्रीन देखना
- रात में भारी भोजन
- कैफीन युक्त पेय पदार्थ
- मानसिक तनाव या ओवरथिंकिंग
इन सभी आदतों से नींद की गुणवत्ता खराब होती है और शरीर पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाता।
नींद संबंधित विकार (Sleep Disorders)
कुछ लोगों को अनजाने में स्लीप एपनिया (Sleep Apnea), रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS), या इनसोम्निया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो रात की नींद को कई बार बाधित करती हैं।
इसके लक्षण:
- खर्राटे लेना
- बार-बार नींद खुलना
- दिन में नींद आना या ध्यान केंद्रित न कर पाना
यदि ऐसी समस्याएं लगातार बनी रहें, तो स्लीप स्पेशलिस्ट से जांच कराना जरूरी है।
क्या करें? थकान दूर करने के उपाय
दिनचर्या को नियमित करें:
- हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद करें।
- रात में हल्का भोजन करें और कैफीन से बचें।
पोषण में सुधार:
- डाइट में मैग्नीशियम युक्त चीजें जैसे पालक, कद्दू के बीज, बादाम शामिल करें।
- पर्याप्त पानी पिएं ताकि इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बना रहे।
तनाव प्रबंधन:
- ध्यान (Meditation) और योग जैसी तकनीकों को अपनाएं।
- पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी लें, जिससे सर्केडियन रिद्म संतुलित रहता है।
आवश्यक जांच:
- हार्मोनल जांच जैसे थायरॉयड, कोर्टिसोल और विटामिन D, B12 की जांच कराएं।
- आवश्यकता हो तो स्लीप स्टडी करवाएं।
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भरपूर सोने के बाद भी थकान महसूस करना एक गंभीर स्वास्थ्य संकेत हो सकता है। यह केवल नींद की मात्रा नहीं बल्कि नींद की गुणवत्ता, हार्मोन, इलेक्ट्रोलाइट्स और जीवनशैली से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है।
यदि यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, तो इसे हल्के में न लें। विशेषज्ञ से सलाह लें, आवश्यक जांच कराएं और अपने दैनिक जीवन में सुधार लाकर आप फिर से ऊर्जावान और सक्रिय महसूस कर सकते हैं।
स्वस्थ नींद , ऊर्जा भरा दिन।
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