AI की निगरानी में होगा ऑनलाइन ड्राइविंग टेस्ट: पारदर्शिता और सख्ती का नया युग

India Briefs Team
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AI की निगरानी में होगा ड्राइविंग टेस्ट, सेटिंग का नहीं चलेगा खेल

अब लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पहले जितना आसान नहीं रहेगा। क्योंकि अब आपके ज्ञान और व्यवहार की असली परीक्षा होगी—वो भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सख्त निगरानी में। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर में ई-ट्रांसपोर्ट सेवाओं का दायरा बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लर्निंग ड्राइविंग टेस्ट को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की योजना लागू की है।

हरियाणा सहित कई राज्यों में अब ड्राइविंग टेस्ट AI की निगरानी में होंगे, जिसमें सेटिंग, नकल, या किसी बाहरी सहायता की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। इस पूरी प्रक्रिया में उन्नत कैमरे, सेंसर और एआई-सॉफ्टवेयर की मदद से हर गतिविधि को रिकॉर्ड और विश्लेषित किया जाएगा।

कैसे बदलेगी ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया?

अब जब कोई नागरिक लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा, तो आवेदन से लेकर परीक्षा तक की पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म और एआई आधारित निगरानी में होगी।

  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के समय: AI कैमरा स्वत: फोटोग्राफी करेगा, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना खत्म होगी।
  • ऑनलाइन लिखित टेस्ट: उम्मीदवार जिस स्थान से टेस्ट देगा, वहां AI कैमरा उसकी हर हरकत पर नजर रखेगा। कोई यदि पास बैठकर मदद करने की कोशिश करेगा, तो वह भी रिकॉर्ड हो जाएगा।
  • फेल की स्थिति: जैसे ही किसी बाहरी मदद की पुष्टि होती है, वह उम्मीदवार टेस्ट में फेल घोषित कर दिया जाएगा, और पूरी रिकॉर्डिंग सिस्टम में सेव हो जाएगी।

डिजिटल निगरानी से बढ़ेगी पारदर्शिता और विश्वसनीयता

नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के उप महानिदेशक जयदीप सोम के अनुसार, यह पहल ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि इससे यह तय होगा कि लाइसेंस सिर्फ उन्हीं को मिले जो वास्तव में ड्राइविंग योग्य हैं।

सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि:

  • कोई भी बिना टेस्ट पास किए लाइसेंस न ले सके।
  • फर्जी दस्तावेज या सेटिंग के जरिए लाइसेंस बनवाने की कोशिश विफल हो।
  • भविष्य में जब स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस की बारी आए, तो पहले दिए गए टेस्ट का पूरा रिकॉर्ड AI के माध्यम से तुरंत सामने आ जाए।

AI तकनीक का लाभ: फास्ट प्रोसेसिंग और सुरक्षित दस्तावेज

यह तकनीक न केवल प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाएगी, बल्कि समय की भी बचत करेगी। अब उम्मीदवारों को लंबी लाइनों में खड़े होकर फॉर्म भरने या बार-बार दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं होगी। एआई सिस्टम स्वचालित रूप से सभी दस्तावेजों को स्कैन और सुरक्षित करेगा।

इससे जुड़ी कुछ प्रमुख सुविधाएं:

  • रिकॉर्डिंग और स्टोरेज: हर परीक्षा की वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रूप से क्लाउड में स्टोर की जाएगी।
  • फॉलोअप में आसानी: जब आवेदक स्थायी लाइसेंस के लिए आएगा, तो उसका पुराना टेस्ट डेटा तुरंत सामने आ जाएगा।
  • अनियमितताओं पर रोक: किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का तुरंत पता चल सकेगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।

12 राज्यों के NIC और परिवहन विभाग के बीच गहन विचार-विमर्श

हाल ही में हुए एक उच्च स्तरीय बैठक में 12 राज्यों के NIC और परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने ई-ट्रांसपोर्ट सेवाओं के विस्तार और एआई के उपयोग को लेकर गहन मंथन किया। बैठक में यह निष्कर्ष निकाला गया कि तकनीक के इस्तेमाल से सिर्फ समय की बचत ही नहीं होगी, बल्कि नागरिकों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा।

पूरे देश में AI आधारित लाइसेंसिंग

यह योजना फिलहाल हरियाणा समेत कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की जा रही है, लेकिन सफलता के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक सभी राज्यों में ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और AI निगरानी आधारित बना दिया जाए।


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योग्य उम्मीदवार ही पाएंगे लाइसेंस

ड्राइविंग एक जिम्मेदारी भरा कार्य है और इसका प्रमाणपत्र किसी भी हाल में गैर-योग्य व्यक्ति को नहीं मिलना चाहिए। एआई की निगरानी में ऑनलाइन ड्राइविंग टेस्ट से यह सुनिश्चित होगा कि केवल वही व्यक्ति लाइसेंस प्राप्त करें जो वास्तव में उसकी योग्यता रखते हैं।

यह बदलाव न केवल सिस्टम को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि देश की सड़कों पर सुरक्षा के स्तर को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।


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