जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: पुरी मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों की एंट्री क्यों होती है प्रतिबंधित? जानें धार्मिक कारण, परंपरा और पौराणिक कथा

India Briefs Team
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जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

पुरी (Puri) स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। 2025 में यह यात्रा 27 जून से आरंभ होगी। हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने भव्य रथों में नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस उत्सव में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। हालांकि इस मंदिर से जुड़ी एक परंपरा पिछले कुछ वर्षों से काफी चर्चा में रहती है – अविवाहित प्रेमी जोड़ों का मंदिर में प्रवेश निषिद्ध होना।

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े अद्भुत रहस्य और चमत्कार

पुरी का जगन्नाथ मंदिर ना केवल धार्मिक मान्यताओं का केंद्र है, बल्कि यहां घटने वाली कुछ घटनाएं विज्ञान के लिए भी अब तक रहस्य बनी हुई हैं

1. समुद्र की आवाज मंदिर में क्यों नहीं सुनाई देती?

मंदिर के मुख्य द्वार (सिंहद्वार) से जैसे ही आप प्रवेश करते हैं, समुद्र की तेज लहरों की आवाज अचानक बंद हो जाती है। लेकिन जैसे ही आप मंदिर से बाहर निकलते हैं, वही आवाज पुनः सुनाई देने लगती है। इसे ध्वनि विज्ञान का चमत्कार माना जाता है, जिसकी आज तक कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं हो सकी।

2. मंदिर की कभी परछाईं नहीं पड़ती

जगन्नाथ मंदिर की यह विशेषता भी चौंकाती है कि दिन के किसी भी समय, किसी भी कोण से सूर्य की रोशनी पड़ने पर मंदिर की छाया जमीन पर नहीं दिखती। यह एक रहस्य है, जिसे आज तक कोई हल नहीं कर पाया।

3. कभी कम नहीं होता महाप्रसाद

मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक रसोई मानी जाती है। प्रतिदिन लाखों भक्तों के लिए महाप्रसाद (भोजन) बनता है। आश्चर्य की बात यह है कि न कभी प्रसाद की कमी होती है और न ही कोई भक्त भूखा लौटता है। प्रसाद हमेशा सभी के लिए पर्याप्त होता है।

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फोटो : adobe stock

मंदिर की धार्मिक मर्यादा और पारंपरिक आचार संहिता

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आचार, आस्था और परंपराओं का जीता-जागता उदाहरण भी है। यहां अविवाहित प्रेमी जोड़ों को एक साथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती। मंदिर प्रशासन का मानना है कि यह पवित्र स्थान केवल उन्हीं श्रद्धालुओं के लिए है जो व्यक्तिगत रूप से या पति-पत्नी के रूप में आते हैं।

इस परंपरा के पीछे मंदिर की धार्मिक मर्यादा (Sanctity) और आचार संहिता (Code of Conduct) का विशेष स्थान है। प्रशासन का कहना है कि यह नियम मंदिर की पवित्रता बनाए रखने और सामाजिक-सांस्कृतिक मर्यादाओं के अनुरूप लागू किया गया है।

फोटो : adobe stock

अविवाहित प्रेमी युगल का प्रवेश वर्जित

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार राधा रानी जगन्नाथ मंदिर में श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए आईं, लेकिन पुजारियों ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। कारण बताया गया कि वे श्रीकृष्ण की प्रेमिका थीं, और मंदिर की परंपरा के अनुसार अविवाहित प्रेमियों को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। राधा रानी ने आहत होकर श्राप दिया कि जो भी अविवाहित प्रेमी युगल मंदिर में एक साथ प्रवेश करेगा, उनका प्रेम कभी पूरा नहीं होगा। माना जाता है कि तब से यह नियम बना रहा, और आज भी श्रद्धालु इस परंपरा को निभाते हैं।

जगन्नाथ पुरी मंदिर की परंपराएं आज भी लाखों श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा और मर्यादा का प्रतीक हैं। अविवाहित प्रेमी जोड़ों के प्रवेश पर रोक भले ही आज की युवा पीढ़ी को कठोर लगे, लेकिन यह व्यवस्था पौराणिक मान्यताओं, धार्मिक अनुशासन और सांस्कृतिक मर्यादाओं से प्रेरित है। जब तक यह आस्था जीवित है, तब तक ऐसी परंपराएं भी बनी रहेंगी।

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डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक परंपराओं, पौराणिक कथाओं और स्थानीय आस्थाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जानकारी उपलब्ध कराना है। निर्णय लेने से पहले संबंधित धार्मिक संस्थाओं से परामर्श लेना उचित होगा।


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