दुनिया की सबसे ताकतवर वायु रक्षा प्रणाली: भारत, अमेरिका, इज़राइल और चीन किसके पास है कौन सा एयर डिफ़ेंस सिस्टम ?

वायु रक्षा प्रणाली

India Briefs Team
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रूस का बीयूके एम-3 एयर डिफ़ेंस सिस्टम (फ़ाइल फ़ोटो)

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, जब युद्ध की रणनीतियाँ दिन-ब-दिन अत्याधुनिक हो रही हैं, वायु रक्षा प्रणाली (Air Defense System) किसी भी देश की सैन्य सुरक्षा का अनिवार्य हिस्सा बन गई है। मिसाइल, ड्रोन और हवाई हमलों के बढ़ते खतरे को देखते हुए, दुनिया के कई देशों ने अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किए हैं। आइए जानते हैं भारत, अमेरिका, इज़राइल और चीन जैसे प्रमुख देशों के पास कौन-कौन से एयर डिफेंस सिस्टम हैं और कौन-सा सिस्टम सबसे प्रभावशाली माना जा रहा है।

वायु रक्षा प्रणाली क्या है?

वायु रक्षा प्रणाली
अप्रैल में अमेरिका और फ़िलिपीन्स के संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान मैरिन्स एयर डिफ़ेंस इंटीग्रेटेड सिस्टम यानी एमएडीआईएस की क्षमता देखने को मिली (Image Source : Getty Images)

वायु रक्षा प्रणाली एक ऐसा सैन्य नेटवर्क होता है, जो रडार, सेंसर, मिसाइल और तोपों की मदद से किसी देश की वायुसीमा में आने वाले दुश्मन विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों की पहचान कर उन्हें नष्ट करने का कार्य करता है। ये प्रणाली स्थायी या मोबाइल दोनों हो सकती है, और यह किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम होती है।

यह प्रणाली चार मुख्य हिस्सों में कार्य करती है:

  • रडार और सेंसर: हवाई खतरे की पहचान और ट्रैकिंग
  • कमांड एंड कंट्रोल सेंटर: जानकारी को प्रोसेस कर प्राथमिकता तय करता है
  • हथियार प्रणाली: खतरों को नष्ट करने का कार्य
  • मोबाइल यूनिट्स: युद्ध क्षेत्र में तेज़ी से तैनाती की सुविधा

अब जानते हैं प्रमुख देशों के एयर डिफेंस सिस्टम की विस्तार से जानकारी:

अमेरिका का एयर डिफेंस सिस्टम: भविष्य की तैयारी

वायु रक्षा प्रणाली
@AFP

अमेरिका दुनिया का पहला देश है जिसने वायु रक्षा क्षेत्र में कई स्तरों की प्रणाली विकसित की है। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम के एक डिज़ाइन को लॉन्च किया है, जिसे ‘भविष्य की रक्षा प्रणाली’ बताया जा रहा है।

मौजूदा सिस्टम:

  • THAAD (Terminal High Altitude Area Defense): यह प्रणाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को शुरुआती उड़ान चरण में ही नष्ट करने में सक्षम है। इसकी रेंज 200 किमी तक और ऊंचाई 150 किमी तक है।
  • MIM-104 Patriot System: यह सिस्टम 170 किमी तक मार करने में सक्षम है।
  • अमेरिका, जर्मनी और इटली के पास MEADS (Medium Extended Air Defense System) भी है।

नया विकास: Golden Dome

यह सिस्टम पृथ्वी, समुद्र और अंतरिक्ष में काम करने में सक्षम होगा। इसमें अंतरिक्ष में इंटरसेप्टर और सेंसर तैनात किए जाएंगे जो हाइपरसोनिक हथियारों और फोब्स जैसी तकनीकों से सुरक्षा प्रदान करेंगे। इसकी सफलता दर लगभग 100% बताई जा रही है।

इज़राइल का आयरन डोम: छोटी दूरी की रक्षा में सबसे आगे

इज़राइल का Iron Dome दुनिया की सबसे चर्चित वायु रक्षा प्रणाली में से एक है। इसे हमास और ईरान जैसे दुश्मनों के खिलाफ सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है।

ईरान के ड्रोन को नष्ट करता इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम @IDF
  • आयरन डोम रॉकेट और मिसाइल की दिशा को ट्रैक कर यह तय करता है कि वो रिहायशी इलाके में गिरने वाली हैं या नहीं। केवल उन्हीं मिसाइलों को यह सिस्टम निशाना बनाता है।
  • इसकी सफलता दर 90% से अधिक मानी जाती है।
  • प्रत्येक यूनिट में 3-4 लॉन्च व्हीकल होते हैं जो 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें दाग सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, इज़राइल के पास David’s Sling और Arrow Defense Systems भी हैं जिनकी रेंज 70 किमी से 300 किमी तक है।

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम: बहुपरत सुरक्षा का उदाहरण

भारत का वायु रक्षा नेटवर्क कई अंतरराष्ट्रीय तकनीकों और स्वदेशी विकास का मिश्रण है। भारत के पास रूसी, इज़राइली और स्वदेशी सिस्टमों का संगम है जो इसे चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के मुकाबले अधिक प्रभावशाली बनाता है।

वायु रक्षा प्रणाली
भारत ने अमेरिका की नाराज़गी के बावजूद रूस से एस-400 ख़रीदा था (Image Source : Getty Images)

S-400 ‘सुदर्शन चक्र’

भारत ने 2018 में रूस से 5 यूनिट S-400 ट्रायम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था।

  • यह मोबाइल सिस्टम है और 5-10 मिनट के अंदर तैनात हो सकता है।
  • इसकी मारक क्षमता 400 किमी तक है।
  • इसे रूस ने यूक्रेन युद्ध में प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया है।
  • भारत ने भी इसका उपयोग पाकिस्तान के साथ हाल के तनावों में सफलता पूर्वक किया।

भारत के पास इसके अलावा:

  • Akash Missile System (स्वदेशी)
  • Barak-8 (भारत-इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित)
  • Spyder System (इज़राइली सिस्टम) भी हैं।

चीन और पाकिस्तान: सीमित अनुभव, बड़े दावे

चीन और पाकिस्तान दोनों ही वायु रक्षा प्रणाली के मामले में अधिकतर रूस या अपने खुद के सिस्टम्स पर निर्भर हैं, लेकिन इनकी युद्ध क्षेत्र में उपयोगिता सीमित रही है।

पाकिस्तान का दावा है कि उसके पास क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता है (फ़ाइल फ़ोटो) (Image Source : Getty Images)

चीन:

  • चीन के पास HQ-9 और HQ-16 जैसे सिस्टम हैं।
  • हालांकि सैन्य विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि चीन की किसी भी वायु रक्षा प्रणाली का व्यावहारिक युद्ध में आज तक कोई ठोस परीक्षण नहीं हुआ है।

पाकिस्तान:

  • पाकिस्तान ने हाल ही में HQ-9 सिस्टम शामिल किया है जिसे रूस के S-300 के समकक्ष माना जाता है।
  • इसके अलावा FN-16 और HQ-16 जैसे मध्यम रेंज सिस्टम भी हैं।
  • परंतु भारत-पाक संघर्षों में ये सिस्टम अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाए।

आज की तारीख में यदि वायु रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता की बात करें तो भारत का S-400, अमेरिका का THAAD और गोल्डन डोम, और इज़राइल का आयरन डोम सबसे सफल और भरोसेमंद माने जा सकते हैं। चीन और पाकिस्तान की प्रणाली तकनीकी रूप से उन्नत दिखती जरूर है, लेकिन उसके संचालन का अनुभव और विश्वसनीयता अभी भी संदिग्ध है।

साफ है कि आज की बदलती सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए, मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क किसी भी देश की सुरक्षा रणनीति का आधार बन चुका है। भारत ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए खुद को एशिया की सैन्य शक्तियों में अग्रणी बना लिया है।

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