हेमकुंड साहिब यात्रा : गोविंद घाट पुल ध्वस्त, प्रशासन के सामने 80 दिनों की चुनौती

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उत्तराखंड के चमोली जिले में बुधवार को भूस्खलन के कारण गोविंद घाट पुल ढह गया, जिससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले श्रद्धालुओं का रास्ता पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया। इस पुल का ध्वस्त होना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि 25 मई से हेमकुंड साहिब यात्रा शुरू हो रही है। ऐसे में प्रशासन के पास केवल 80 दिन हैं, जिसमें उसे एक नया और सुरक्षित पुल तैयार करना होगा।

बार-बार टूटता पुल, बढ़ती मुश्किलें

गोविंद घाट पुल पहले भी कई बार भूस्खलन की चपेट में आ चुका है, लेकिन इस बार स्थिति और गंभीर है। यात्रियों की सुविधा और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को जल्द से जल्द इस पुल का निर्माण करना होगा। पुल के बिना हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने का मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है।

यात्रा मार्ग के अनुसार, वाहन गोविंद घाट से पुलना गांव तक जाते हैं, जहां से श्रद्धालु घोड़े, पालकी या पैदल यात्रा करते हैं। पुल नहीं होने से यात्रियों को अतिरिक्त किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा, जिससे यात्रा और कठिन हो जाएगी। विशेष रूप से बुजुर्ग श्रद्धालुओं को इससे भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

पुल गिरने के तुरंत बाद चमोली जिला प्रशासन सक्रिय हो गया। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को शीघ्र समाधान निकालने के निर्देश दिए हैं। विभाग के अधीक्षण अभियंता को स्थल पर भेजकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।

डीएम तिवारी ने कहा, “अभी यात्रा शुरू होने में समय है, लेकिन हमें जल्द से जल्द पुल का निर्माण करना होगा। हमें उम्मीद है कि यात्रा से पहले एक वैकल्पिक पुल तैयार कर लिया जाएगा।”

अगर समय पर पुल नहीं बन पाता, तो प्रशासन को यात्रा मार्ग में परिवर्तन करना पड़ सकता है, जिससे श्रद्धालुओं को लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ेगी।

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों पर असर

गोविंद घाट पुल सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय व्यापारियों और होटल व्यवसायियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां रुकते हैं और खरीदारी करते हैं। यदि पुल का निर्माण समय पर नहीं होता, तो श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ सकती है, जिससे स्थानीय व्यापारियों की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा।

चारधाम यात्रा और पर्यावरणीय प्रभाव

गोविंद घाट पुल बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और यह चारधाम यात्रा के लिए भी महत्वपूर्ण मार्ग है। भूस्खलन के कारण पुल के गिरने से न केवल हेमकुंड साहिब यात्रा प्रभावित हुई है, बल्कि चारधाम यात्रा पर भी इसका असर पड़ सकता है।

यह क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है, जिससे बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए मजबूत और टिकाऊ संरचनाओं का निर्माण आवश्यक है। प्रशासन को ऐसी योजना बनानी होगी, जिससे इस मार्ग को दीर्घकालिक रूप से सुरक्षित रखा जा सके।

जल्द बनेगा नया पुल, सरकार का दावा

प्रशासन और सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह सक्रिय हैं। लोक निर्माण विभाग (PWD) और अन्य संबंधित एजेंसियों को तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यात्रा से पहले पुल को तैयार करने की पूरी कोशिश की जाएगी।

गोविंद घाट पुल का निर्माण उत्तराखंड प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यदि इसे समय पर पूरा नहीं किया गया तो हेमकुंड साहिब यात्रा, चारधाम यात्रा और स्थानीय व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए प्रशासन को जल्द और मजबूत समाधान निकालना होगा।

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