तेज रफ्तार जिंदगी, अनियमित खानपान और तनावपूर्ण दिनचर्या के बीच आज हर कोई स्वास्थ्य को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हुआ है। लेकिन इस जागरूकता के बीच एक नया ट्रेंड तेजी से उभरा है – डेली सप्लीमेंट्स का सेवन। विटामिन्स, मिनरल्स, ओमेगा-3 कैप्सूल्स, प्रोटीन पाउडर और मल्टीविटामिन्स जैसी चीजें आम लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी हैं। सोशल मीडिया, फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स और मार्केटिंग की होड़ में सप्लीमेंट्स को “स्वास्थ्य का शॉर्टकट” बना दिया गया है। पर क्या यह वास्तव में फायदेमंद हैं? क्या रोजाना सप्लीमेंट्स लेना सही है या इससे सेहत को नुकसान भी हो सकता है? आइए जानें इसके पीछे की सच्चाई और विशेषज्ञों की राय।
क्या हैं सप्लीमेंट्स और क्यों हो रहे हैं लोकप्रिय?
सप्लीमेंट्स यानी ऐसे पोषक तत्व जो हमें भोजन से नहीं मिलते या जिनकी हमारे शरीर में कमी हो जाती है। ये टैबलेट, कैप्सूल, पाउडर या लिक्विड के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनमें विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स आदि शामिल होते हैं। इनका दावा है कि ये इम्युनिटी बढ़ाते हैं, हड्डियां मजबूत करते हैं, दिमाग को तेज बनाते हैं, और बीमारियों से बचाव करते हैं।
लोग इन सप्लीमेंट्स को “प्रिवेंटिव हेल्थ केयर” यानी बीमारी से बचाव के उपाय के रूप में देख रहे हैं। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद तो विटामिन C, D और जिंक जैसे सप्लीमेंट्स की मांग रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ी है।
सप्लीमेंट्स के फायदे – लेकिन शर्तों के साथ
अगर डॉक्टर की सलाह के बाद सही मात्रा में सप्लीमेंट्स का सेवन किया जाए तो यह शरीर को जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
- विटामिन D की कमी हड्डियों को कमजोर बना सकती है, और इसके पूरक से यह संतुलित किया जा सकता है।
- फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है ताकि भ्रूण के विकास में कोई रुकावट न आए।
- आयरन सप्लीमेंट्स एनीमिया से जूझ रहे मरीजों के लिए जीवनदायी हो सकते हैं।
लेकिन यहां एक बड़ा “अगर” है – यह तभी फायदेमंद हैं जब इन्हें आवश्यकता होने पर, सही मात्रा में और डॉक्टर की निगरानी में लिया जाए।
बिना सलाह के सेवन: फायदा कम, खतरा ज्यादा
बहुत से लोग खुद से ही सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि जितना ज्यादा लेंगे, उतना ही फायदा मिलेगा। पर असल में ऐसा नहीं है। बिना टेस्ट और डॉक्टर की सलाह के सप्लीमेंट्स लेने से शरीर में कुछ पोषक तत्व जरूरत से ज्यादा जमा हो सकते हैं, जो विषाक्तता (Toxicity) पैदा कर सकते हैं।
अमेरिका में हुए एक अध्ययन के अनुसार, हर साल करीब 23,000 लोग सप्लीमेंट्स के दुष्प्रभावों के कारण अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें उल्टी, दस्त, एलर्जी, पेट दर्द, सिरदर्द और यहां तक कि अंगों को नुकसान पहुंचाने वाले लक्षण भी शामिल हैं।
फैट-सॉल्यूबल विटामिन्स: जब फायदेमंद तत्व बन जाएं ज़हर
कुछ विटामिन्स जैसे विटामिन A, D, E और K फैट-सॉल्यूबल होते हैं, यानी ये शरीर में वसा के साथ जमा होते जाते हैं। यदि इनका अत्यधिक सेवन किया जाए, तो ये शरीर से बाहर नहीं निकल पाते और लीवर डैमेज, कब्ज, मिचली और थकावट जैसे लक्षणों का कारण बन सकते हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक जरूरत से ज्यादा विटामिन D लेने से हाइपरकैल्सीमिया हो सकता है, जिससे किडनी फेलियर तक का खतरा होता है।
कुछ अन्य सप्लीमेंट्स से जुड़ी परेशानियां
- आयरन की अधिकता से पेट में भारीपन, कब्ज और उल्टी हो सकती है।
- विटामिन K ब्लड थिनर दवाओं (जैसे वारफरिन) के साथ इंटरैक्ट कर सकता है और खून का थक्का जमने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
- विटामिन B6 का अत्यधिक सेवन लंबे समय तक किया जाए तो इससे नर्व डैमेज की समस्या हो सकती है।
- कुछ सप्लीमेंट्स में हर्बल एक्सट्रैक्ट्स या अनरेगुलेटेड केमिकल्स होते हैं, जो लीवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय: पहले जांच, फिर सप्लीमेंट्स
डॉक्टरों और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का स्पष्ट मत है कि सप्लीमेंट्स का सेवन जांच और सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
AIIMS और ICMR जैसे संस्थान भी यही सलाह देते हैं कि जब तक मेडिकल टेस्ट द्वारा यह साबित न हो कि शरीर में किसी विशेष तत्व की कमी है, तब तक सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं है।
डॉ. सीमा अग्रवाल (क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट) कहती हैं –
“लोग सप्लीमेंट्स को ‘हेल्दी आदत’ समझते हैं, लेकिन जब जरूरत न हो तो यह आदत बीमारियों का कारण बन सकती है।”
क्या करें? – हेल्दी लाइफस्टाइल ही है असली इलाज
- संतुलित आहार लें – ताजे फल, हरी सब्जियां, अनाज, दालें, दूध और दही जैसे खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं।
- धूप में समय बिताएं – विटामिन D के लिए रोजाना 15-20 मिनट की धूप जरूरी है।
- व्यायाम करें – नियमित योग, चलना और हल्की एक्सरसाइज शरीर के मेटाबॉलिज्म को सही रखते हैं।
- पानी और नींद पर ध्यान दें – शरीर की प्राकृतिक सफाई और रिकवरी के लिए भरपूर पानी और नींद जरूरी है।
- डॉक्टर से सलाह लें – किसी भी स्वास्थ्य समस्या या कमजोरी महसूस होने पर खुद इलाज न करें, पहले जांच कराएं।
सेहत का रास्ता शॉर्टकट से नहीं, समझदारी से
रोजाना सप्लीमेंट्स लेना कोई फैशन या ट्रेंड नहीं होना चाहिए। ये तभी उपयोगी हैं जब सही कारण, सही मात्रा और सही मार्गदर्शन हो। अन्यथा यह आपके स्वास्थ्य को सुधारने की जगह बिगाड़ भी सकते हैं। सबसे बेहतर तरीका यही है कि प्राकृतिक और संतुलित आहार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और किसी भी सप्लीमेंट का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से करें।
“सप्लीमेंट्स कोई जादुई गोली नहीं हैं, सेहत के लिए सबसे बड़ा मंत्र है – संतुलन, संयम और समझदारी।”
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