बच्चों के लिए TikTok और Instagram बैन: नीदरलैंड की चेतावनी से दुनियाभर में चर्चा गरमाई

India Briefs Team
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बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन

नीदरलैंड की सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सलाह जारी की है, जिसमें बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन की सिफारिश की गई है। सरकार ने माता-पिता से अपील की है कि वे 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को TikTok और Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से दूर रखें। इसका मुख्य कारण बच्चों के मानसिक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव हैं।

डच रॉयल फैमिली की चिंता: सोशल मीडिया बना खतरा

डच रानी मैक्सिमा ने भी फरवरी में स्वीकार किया था कि उनकी सबसे छोटी बेटी, प्रिंसेस एरियाने, को मोबाइल डिवाइस की अधिकता के कारण आंखों की गंभीर समस्या हो गई है। यह एक व्यक्तिगत अनुभव था, लेकिन पूरे देश में बच्चों के डिजिटल व्यवहार को लेकर चिंता पहले से ही चरम पर थी।


सरकारी पहल: बच्चों के लिए डिजिटल लचीलापन जरूरी

कार्यवाहक उप मंत्री विन्सेंट कैरमन्स ने संसद को भेजे गए पत्र में लिखा कि यह गाइडलाइन बच्चों को डिजिटल लचीलापन (Digital Resilience) और मीडिया साक्षरता (Media Literacy) विकसित करने का अवसर देती है। हालांकि यह सिफारिश अभी कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन भविष्य में इससे जुड़े कानून लाए जा सकते हैं।


सोशल मीडिया बनाम मैसेजिंग ऐप्स: क्यों अलग हैं दोनों?

नीदरलैंड सरकार ने WhatsApp और Signal जैसे मैसेजिंग ऐप्स को अलग श्रेणी में रखा है। इसके विपरीत, TikTok और Instagram जैसे सोशल मीडिया ऐप्स में ऐसे फीचर्स होते हैं जो बच्चों को लत का शिकार बना सकते हैं। इसलिए यह सिफारिश की गई है कि 13 वर्ष से पहले बच्चे केवल मैसेजिंग सेवाओं का ही उपयोग करें।


वैश्विक स्तर पर बढ़ती चिंता

यह केवल नीदरलैंड की चिंता नहीं है:

  • ऑस्ट्रेलिया: पहला देश, जिसने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया।
  • डेनमार्क और फ्रांस: कानून लाने की तैयारी में।
  • स्वीडन: पहले ही स्क्रीन टाइम पर गाइडलाइन जारी कर चुका है।

यह दिखाता है कि बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन अब एक वैश्विक बहस बन चुकी है।


डच विशेषज्ञों और स्कूलों की सक्रिय भूमिका

नीदरलैंड की संसद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने बताया कि बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ने से:

  • एंग्जायटी अटैक
  • डिप्रेशन
  • नींद की गड़बड़ी

जैसी गंभीर मानसिक व शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं। इसलिए कई डच स्कूलों ने कक्षाओं में स्मार्टफोन, टैबलेट और स्मार्टवॉच के उपयोग पर भी रोक लगा दी है।


स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझाव: बच्चों के लिए बैलेंस जरूरी

नीदरलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को लेकर ये सुझाव दिए हैं:

  • हर 20 मिनट स्क्रीन टाइम के बाद आउटडोर एक्टिविटी दें
  • मोबाइल और लैपटॉप को सोने के कमरे से दूर रखें
  • डिवाइस उपयोग की समय-सीमा तय करें

इन सिफारिशों से बच्चों का डिजिटल स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।

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1,400 डॉक्टरों की अपील: बनाएं सख्त कानून

मई 2025 में, 1,400 से ज्यादा डॉक्टरों और बाल विशेषज्ञों ने सरकार को खुला पत्र लिखा, जिसमें:

  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल पर रोक
  • 16 साल तक सोशल मीडिया बैन की सिफारिश की गई।

सरकार ने इस अपील को गंभीरता से लिया और यह गाइडलाइन इसी का परिणाम है।


क्या भारत को भी अपनाना चाहिए बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन?

नीदरलैंड का कदम न केवल साहसिक है, बल्कि समय की मांग भी है। जिस तेजी से बच्चे डिजिटल दुनिया में डूबते जा रहे हैं, यह जरूरी है कि हम उन्हें मीडिया साक्षरता और डिजिटल संतुलन सिखाएं।

भारत में भी अब बहस शुरू होनी चाहिए—क्या हमें भी बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन जैसे कड़े कदम उठाने चाहिए?


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