मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड से जुड़ा एक अहम नियम लागू किया है, जिसके तहत अब एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को नए फंड ऑफर (NFO) से जुटाए गए धन को 30 बिजनेस दिनों के भीतर निवेश करना होगा। यह कदम म्यूचुअल फंड स्कीमों में पारदर्शिता बढ़ाने और मिस-सेलिंग को रोकने के लिए उठाया गया है।

नए नियमों के तहत क्या होगा?
सेबी द्वारा 27 फरवरी को जारी सर्कुलर में बताया गया कि म्यूचुअल फंड रेगुलेशन में संशोधन किए गए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AMCs केवल उतना ही धन जुटाएं, जिसे एक निश्चित समयसीमा में निवेश किया जा सके।
- 30 दिनों की समय-सीमा – NFO के जरिए जुटाए गए फंड को 30 बिजनेस दिनों के भीतर स्कीम के निर्धारित एसेट एलोकेशन के अनुसार निवेश करना अनिवार्य होगा।
- स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्युमेंट (SID) में टाइमलाइन का जिक्र जरूरी – AMCs को अपनी स्कीम की जानकारी में स्पष्ट रूप से बताना होगा कि फंड को कितने समय में निवेश किया जाएगा।
- निवेश में देरी होने पर रिपोर्टिंग अनिवार्य – यदि 30 दिनों में फंड निवेश नहीं हो पाता है, तो AMC को अपने इन्वेस्टमेंट कमेटी के सामने कारण प्रस्तुत करना होगा और इस समस्या के समाधान के उपाय सुझाने होंगे।
- समय-सीमा बढ़ाने के प्रावधान – इन्वेस्टमेंट कमेटी को 30 बिजनेस दिनों का अतिरिक्त समय देने का अधिकार होगा, लेकिन यह तभी संभव होगा जब वे निवेश में देरी के मूल कारणों की जांच कर लें।
निवेश में देरी पर क्या पाबंदियां लगेंगी?
यदि AMCs निर्धारित या बढ़ाई गई समय-सीमा में फंड को निवेश नहीं कर पाती हैं, तो सेबी द्वारा तय किए गए सख्त प्रतिबंध लागू होंगे:
- नए निवेश पर रोक – जब तक निर्धारित निवेश पूरा नहीं होता, तब तक उसी स्कीम में नए निवेशकों से धन जुटाने की अनुमति नहीं होगी।
- एग्जिट लोड पर रोक – यदि 60 दिनों के भीतर फंड निर्धारित एसेट एलोकेशन के अनुसार निवेश नहीं होता, तो निवेशकों से एग्जिट लोड नहीं लिया जा सकेगा।
- निवेशकों को बाहर निकलने का विकल्प – NFO में निवेश करने वाले सभी निवेशकों को SMS, ईमेल या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाएगा कि वे बिना किसी एग्जिट लोड के स्कीम से बाहर निकल सकते हैं।
- ट्रस्टीज को रिपोर्टिंग जरूरी – हर स्तर पर किसी भी विचलन की रिपोर्ट ट्रस्टीज को देनी होगी।
नए नियमों का उद्देश्य
सेबी के इस फैसले से म्यूचुअल फंड निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी और AMCs द्वारा अनावश्यक रूप से धन जुटाने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। इससे NFO के तहत जुटाई गई रकम का त्वरित और प्रभावी तरीके से निवेश सुनिश्चित होगा, जिससे निवेशकों को भी बेहतर रिटर्न की संभावना मिलेगी।
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