नई दिल्ली: आयकरदाताओं के लिए एक राहत भरी खबर आई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर अब 15 सितंबर 2025 कर दी है। इस फैसले से लाखों करदाताओं को राहत मिलेगी जो विभिन्न कारणों से समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते।
CBDT ने इस संबंध में जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से साझा की और बताया कि यह निर्णय ITR फॉर्म्स में संरचनात्मक बदलाव, सिस्टम डेवलपमेंट, और TDS क्रेडिट रिफ्लेक्शन की नई प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
CBDT का आधिकारिक बयान
CBDT ने अपने पोस्ट में लिखा:
“करदाताओं के लिए जरूरी सूचना! वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि अब 31 जुलाई के बजाय 15 सितंबर 2025 होगी। यह समय विस्तार रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और अधिक सहज, सटीक और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने हेतु किया गया है। ITR फॉर्म्स और सिस्टम में हालिया बदलावों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।”
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस फैसले की औपचारिक अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी, जिससे करदाताओं को कानूनी स्पष्टता भी मिल सके।
Kind Attention Taxpayers!
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) May 27, 2025
CBDT has decided to extend the due date of filing of ITRs, which are due for filing by 31st July 2025, to 15th September 2025
This extension will provide more time due to significant revisions in ITR forms, system development needs, and TDS credit… pic.twitter.com/MggvjvEiOP
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किन करदाताओं को मिलेगा इस सुविधा का लाभ?
इस समय विस्तार का लाभ उन व्यक्तिगत करदाताओं, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) और ऐसी संस्थाओं को मिलेगा जिन्हें अपने खातों का ऑडिट करवाने की आवश्यकता नहीं होती।
अर्थात् यदि आप एक साधारण वेतनभोगी कर्मचारी, स्वतंत्र पेशेवर, छोटे व्यवसायी या पारिवारिक HUF के सदस्य हैं, तो अब आप 15 सितंबर 2025 तक अपना ITR बिना किसी जुर्माने के दाखिल कर सकते हैं।
यह विस्तार उन करदाताओं के लिए अत्यंत लाभकारी है जो:
- अपनी आय का हिसाब लगाने में समय लेना चाहते हैं।
- TDS क्रेडिट की सही जानकारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- नए फॉर्मेट को समझना और सही जानकारी भरना चाहते हैं।
समय विस्तार की पृष्ठभूमि: क्यों लिया गया यह फैसला?
CBDT द्वारा जारी विवरण में विस्तार से बताया गया कि अंतिम तिथि बढ़ाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
- ITR फॉर्म्स में संरचनात्मक बदलाव:
आयकर विभाग ने नए फॉर्म्स में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं जिससे रिपोर्टिंग अधिक सटीक हो सके। उदाहरण के तौर पर, अब कुछ प्रकार की पूंजीगत आय और कटौतियों को पहले की तुलना में अधिक विस्तार से दर्शाना होगा। - सिस्टम डेवलपमेंट:
आयकर पोर्टल और संबंधित डिजिटल प्रणाली में बदलाव चल रहे हैं। नए फीचर्स और अपडेट को लागू करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। - TDS क्रेडिट रिफ्लेक्शन:
TDS से जुड़ी जानकारी करदाताओं के फॉर्म 26AS और AIS में सही ढंग से प्रदर्शित हो, इसके लिए भी कुछ तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं। ये सुधार फाइलिंग प्रक्रिया को और अधिक सटीक बनाएंगे।
ITR फॉर्म्स में किए गए मुख्य बदलाव
CBDT ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ITR फॉर्म्स को 29 अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया था। इसमें ITR-1 और ITR-4 के प्रारूप में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं:
- 50 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं और HUFs को ध्यान में रखते हुए संशोधन।
- 1.25 लाख रुपये तक के सूचीबद्ध शेयरों से प्राप्त दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) को अब सीधे ITR-1 और ITR-4 में दिखाया जा सकता है।
- धारा 80C, 80GG और अन्य छूटों के लिए नए विकल्प और विवरण मांगे गए हैं।
- करदाताओं की सुविधा के लिए ड्रॉपडाउन मेनू और प्री-फिल्ड जानकारी की व्यवस्था को और सशक्त किया गया है।
समय विस्तार का क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस निर्णय का सीधा लाभ करदाताओं को यह होगा कि उन्हें:
- नया सिस्टम समझने और प्रयोग में लाने का समय मिलेगा।
- गलतियों से बचने और सटीक रिटर्न दाखिल करने की सुविधा रहेगी।
- TDS की जानकारी का सही मिलान करने का पर्याप्त मौका मिलेगा।
इसके अलावा, कर सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी अपने क्लाइंट्स के लिए बेहतर तैयारी करने और जटिल मामलों को ठीक से संभालने का समय मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला स्वागत योग्य है। कर मामलों के विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट विनीत जैन के अनुसार:
“अक्सर देखा गया है कि जुलाई के अंत तक करदाता जल्दबाजी में ITR दाखिल करते हैं और कई बार गलतियां हो जाती हैं। इस बार सिस्टम में बदलाव होने से यदि समय नहीं बढ़ाया जाता तो ITR संशोधन की संख्या काफी बढ़ जाती। CBDT का यह कदम दूरदर्शी है।”
क्या जुर्माना लगेगा?
नहीं। 15 सितंबर 2025 तक ITR दाखिल करने पर कोई लेट फीस या जुर्माना नहीं लगेगा, बशर्ते आपकी श्रेणी उन्हीं करदाताओं की हो जिनके खातों का ऑडिट जरूरी नहीं है।
लेकिन ध्यान रखें — यदि आप इसके बाद रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आयकर अधिनियम की धारा 234F के अंतर्गत लेटलतीफी का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसलिए निर्धारित तिथि से पहले ही फाइल करें।
करदाताओं के लिए सलाह
- जल्दी तैयारी शुरू करें: अंतिम तिथि भले ही बढ़ गई हो, लेकिन देरी करना समझदारी नहीं होगी।
- AIS और फॉर्म 26AS की जांच करें: सुनिश्चित करें कि सभी आय और TDS सही से प्रतिबिंबित हो रही हो।
- नए ITR फॉर्म्स को समझें: नए बदलावों को ध्यान से पढ़ें और आवश्यक कटौतियों का लाभ उठाएं।
- ई-फाइलिंग पोर्टल की अपडेटेड सुविधाएं प्रयोग करें: नया पोर्टल पहले से अधिक यूज़र फ्रेंडली है।
CBDT द्वारा ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 करना एक समयानुकूल और करदाताओं के हित में उठाया गया कदम है। यह बदलाव सिर्फ समय देने का प्रयास नहीं है, बल्कि कर अनुपालन को सहज, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम है।
इसलिए यदि आप वेतनभोगी हैं, पेशेवर हैं या HUF के सदस्य हैं, तो बिना घबराए तैयारी करें और सुनिश्चित करें कि आप 15 सितंबर 2025 तक अपना ITR सटीक रूप से दाखिल करें।
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