PhD करने के बाद भी आगे पढ़ना चाहते हैं? ये हैं भारत की टॉप पोस्ट-डॉक्टोरल डिग्रियाँ

India Briefs Team
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क्या आपने हाल ही में PhD पूरी की है और अब सोच रहे हैं कि आगे क्या? जब कोई शोधार्थी PhD की डिग्री प्राप्त करता है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। लेकिन वहीं से एक नया सवाल भी खड़ा हो जाता है — अब करियर को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए? बहुत से लोग अध्यापन या नौकरी की ओर रुख करते हैं, लेकिन अगर आपका झुकाव गहन शोध, अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान के क्षेत्र में योगदान की ओर है, तो आपके लिए आगे बढ़ने के रास्ते अभी खत्म नहीं हुए।

PhD करने के बाद क्या करें?

कई बार यह सवाल सामने आता है कि PhD के बाद क्या करें? ऐसे में जिन छात्रों का शोध और अकादमिक रुचि आगे भी गहराई से बनी रहती है, उनके लिए Doctor of Science (D.Sc.), Doctor of Literature (D.Litt.), और Doctor of Laws (LL.D.) जैसी पोस्ट-डॉक्टोरल डिग्रियाँ बेहतर विकल्प हैं। ये डिग्रियाँ न केवल अकादमिक समाज में प्रतिष्ठा देती हैं बल्कि आपको देश और विदेश में सम्मानित शिक्षण, अनुसंधान और नीति निर्माण के स्तर पर अवसर प्रदान करती हैं।

Doctor of Science (D.Sc.) — विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उच्च शोध

Doctor of Science (D.Sc.) उन शोधकर्ताओं के लिए है जिन्होंने विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और इससे संबंधित क्षेत्रों में PhD के बाद तीन साल का गहन शोध कार्य किया है या पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च पूरी की है। इस डिग्री के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 अंतरराष्ट्रीय शोधपत्र (Scopus या Web of Science में) प्रकाशित करने चाहिए और Scopus h-index 10 से अधिक होना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, दो Granted Patents (कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय) भी इस डिग्री के लिए पात्र बनाते हैं। D.Sc. की खास बात यह है कि यह शोध में मौलिक योगदान को ही मान्यता देती है — जैसे किसी विषय में नया दृष्टिकोण, तकनीकी सुधार, या किसी पुराने सिद्धांत को नया आयाम देना।

Doctor of Literature (D.Litt.) — कला, साहित्य, समाजशास्त्र और मानविकी के शोधार्थियों के लिए

Doctor of Literature (D.Litt.) एक विशेष डिग्री है जो व्यवसाय, मानविकी, सामाजिक विज्ञान, डिज़ाइन और रचनात्मक कला जैसे क्षेत्रों के शोधार्थियों को दी जाती है। इस डिग्री की योग्यता भी D.Sc. जैसी ही है — कम से कम 3 वर्षों का PhD के बाद का अनुभव या पोस्ट-डॉक्टरेट रिसर्च, और 10 शोधपत्र या दो Granted Patents। D.Litt. में शोध कार्य केवल सैद्धांतिक नहीं बल्कि सामाजिक प्रभाव वाला भी होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि किसी शोधकर्ता ने महिला सशक्तिकरण पर शोध किया है और उसका अनुसंधान किसी नीति निर्माण का आधार बना है, तो वह D.Litt. के लिए आदर्श उम्मीदवार हो सकता है। यह डिग्री उन लोगों को भी मिलती है जो समाज में बदलाव के वाहक बने हैं।

Doctor of Laws (LL.D.) — कानून और विधिक नीति निर्माण में विशेषज्ञता

Doctor of Laws (LL.D.) कानून और विधिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों के लिए दी जाने वाली सर्वोच्च डिग्री है। यह डिग्री उन लोगों को मिलती है जिन्होंने कानून में PhD के बाद गहन शोध कार्य किया हो और उनके कार्य ने न्यायपालिका, विधायिका या प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधा असर डाला हो। LL.D. के लिए भी वही मापदंड हैं — न्यूनतम तीन वर्ष का अनुभव या पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च, 10 उच्च स्तर के प्रकाशित शोधपत्र या दो Granted Patents। LL.D. की विशेष बात यह है कि इससे उम्मीदवार को नीति निर्माण में भागीदारी, संविधानिक सुधार, और सामाजिक न्याय में नेतृत्व का अवसर मिलता है।

कोर्स की अवधि, पंजीकरण प्रक्रिया और अनिवार्य शर्तें

इन सभी डिग्रियों — D.Sc., D.Litt. और LL.D. — की न्यूनतम अवधि दो वर्ष होती है, जो आवश्यक शोध कार्य को पूरा करने के लिए निर्धारित की जाती है। यूनिवर्सिटी पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च डिग्री बोर्ड (UPRDB) उम्मीदवार के शोध प्रस्ताव की समीक्षा करता है और फिर उसे प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया जाता है। अगर उम्मीदवार फिजिकल रूप से उपस्थित नहीं हो सकता, तो ऑनलाइन मोड में मूल्यांकन किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो, तो 1 वर्ष तक का एक्सटेंशन भी लिया जा सकता है, लेकिन कुल अवधि 3 वर्षों से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक्सटेंशन के लिए ₹3000 शुल्क लिया जाता है।

उम्मीदवार को डिग्री प्राप्त करने से पहले कम से कम 3 शोधपत्र (Scopus/WoS) प्रकाशित करने होंगे, या फिर उनके शोध के आधार पर 1 पेटेंट मिलना चाहिए, या फिर उनकी रिसर्च से कोई नई सरकारी नीति बनी हो या मौजूदा नीति में बदलाव आया हो। यह साबित करना अनिवार्य है कि उनके शोध ने ज्ञान के क्षेत्र में वास्तविक और मापनीय योगदान दिया है।

पोस्टडॉक क्या है?

पोस्टडॉक्टरल पद एक अस्थायी शोध भूमिका है जिसे पीएचडी स्नातकों को अतिरिक्त प्रशिक्षण प्रदान करने, उनके प्रकाशन रिकॉर्ड का विस्तार करने और उनकी शोध विशेषज्ञता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पीएचडी अर्जित करने और शिक्षा या उद्योग में दीर्घकालिक पद हासिल करने के बीच एक पुल का काम करता है। पोस्टडॉक्टरल पद आम तौर पर एक से पांच साल के बीच होते हैं और STEM क्षेत्रों में सबसे आम हैं लेकिन सामाजिक विज्ञान और मानविकी क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।

D.Sc., D.Litt., LL.D. क्यों करें?

इन डिग्रियों का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले शोधकर्ताओं को सम्मानित करना और उन्हें समाज में प्रभावी भूमिका के लिए तैयार करना है। D.Sc. आपको वैज्ञानिक या तकनीकी नवाचारों में नेतृत्व प्रदान करता है, D.Litt. आपको रचनात्मक और सामाजिक शोध में स्थापित करता है, और LL.D. आपको विधिक नीति निर्माण और कानून के क्षेत्र में विशेषज्ञ बनाता है। ये डिग्रियाँ आपको राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पेश करती हैं, आपको विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ पदों के लिए योग्य बनाती हैं और सरकारी/नीति निर्माण संस्थाओं में सलाहकार की भूमिका दिला सकती हैं।


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PhD के बाद केवल अध्यापन ही नहीं, शोध में भी नेतृत्व करें

यदि आप PhD के बाद केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि शोध नेतृत्वकर्ता (Research Leader) बनना चाहते हैं, तो ये पोस्ट-डॉक्टोरल डिग्रियाँ आपके लिए उपयुक्त हैं। आज जब शिक्षा में गुणवत्ता और मौलिकता पर जोर है, तब D.Sc., D.Litt., और LL.D. जैसी डिग्रियाँ न केवल आपकी विशेषज्ञता को मान्यता देती हैं, बल्कि आपको समाज और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बनाती हैं।


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