कार्लोस अल्कराज़ बनाम जैमे मुनार: लंदन के क्वीन क्लब 2025 में गुरुवार को खेले गए दूसरे दौर के मुकाबले में दुनिया के नंबर 2 टेनिस खिलाड़ी और फ्रेंच ओपन चैंपियन कार्लोस अल्कराज़ ने अपने ही देश के जैमे मुनार को 6-4, 6-7(7), 7-5 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली।
यह मैच तीन घंटे से ज्यादा चला और रोमांचक पल दर पल से भरपूर था। अल्कराज़, जो इस टूर्नामेंट के गत विजेता हैं, एक समय निर्णायक सेट में ब्रेक से पीछे चल रहे थे, लेकिन उन्होंने ज़बरदस्त वापसी करते हुए जीत दर्ज की।
कार्लोस अल्कराज़ बनाम जैमे मुनार पहला सेट: अल्कराज़ की मज़बूत शुरुआत
पहले सेट में अल्कराज़ पूरी तरह नियंत्रण में दिखाई दिए। उन्होंने सटीक सर्विस और आक्रामक रिटर्न खेलते हुए 6-4 से बढ़त बना ली। मुनार लगातार दबाव में दिखे और कुछ अहम अंक गंवा बैठे।
दूसरा सेट: मुनार ने दिखाई वापसी की ताकत
दूसरे सेट में मुनार ने लय पकड़ी और मैच को कांटे का बना दिया। अल्कराज़ को 4-5 पर चार सेट पॉइंट्स का सामना करना पड़ा, जिन्हें उन्होंने बचा लिया। इसके बाद मुकाबला टाईब्रेकर में गया। टाईब्रेकर में दोनों खिलाड़ियों ने शुरुआती चार अंक में अपनी सर्विस गंवाई। अल्कराज़ ने एक ऐस लगाकर मैच प्वाइंट हासिल किया, लेकिन डबल फॉल्ट कर बैठे। इसका फायदा उठाते हुए मुनार ने दूसरा सेट 7-6(7) से जीत लिया।
तीसरा सेट: अल्कराज़ का हौसला और वापसी
तीसरे और निर्णायक सेट की शुरुआत में अल्कराज़ 2-0 की बढ़त पर थे, लेकिन जल्द ही मुनार ने दो ब्रेक लेकर स्कोर 4-2 कर दिया। इस मुश्किल स्थिति में भी अल्कराज़ ने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार दो बार मुनार की सर्विस तोड़ी और 7-5 से मुकाबला अपने नाम किया।
अल्कराज़ बोले: खुद पर गर्व है
“आज का मैच बेहद चुनौतीपूर्ण था। मानसिक और शारीरिक रूप से कई बार मैं खुद को कमजोर महसूस कर रहा था, लेकिन दर्शकों के समर्थन और अपने विश्वास से मैंने खुद को संभाला।”
“यह इस सीजन में मेरा केवल दूसरा ग्रास कोर्ट मैच था और मैं खुश हूं कि क्वार्टर फाइनल में पहुंचा हूं।”
आगे क्या ?
अब अल्कराज़ का अगला मुकाबला फ्रांस के ‘लकी लूज़र’ आर्थर रिंडरकनेश से होगा। विंबलडन की तैयारी के लिहाज से यह मैच बेहद अहम माना जा रहा है। अगर अल्कराज़ इस टूर्नामेंट में खिताब बचा पाते हैं, तो यह उनके करियर की ग्रास कोर्ट पर लगातार सफलता का एक और प्रमाण होगा।
नोट: “जैमे” (Jaume) स्पेनिश/कैटलन नाम है और इसका उच्चारण “हाओ-मे” जैसा होता है, लेकिन हिंदी पत्रकारिता में इसे आमतौर पर “जैमे” ही लिखा जाता है, जो प्रचलित है और पाठकों के लिए सहज भी।