मध्य पूर्व में ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को अस्थिर कर दिया है। इस भूराजनीतिक टकराव का असर भारत जैसे तेल-आयात पर निर्भर देशों पर गहराई से पड़ सकता है, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
ईरान-इस्राइल संघर्ष से दुनिया क्यों सहमी हुई है?
इस्राइल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हालिया हमले ने मध्य पूर्व में अस्थिरता की एक नई लहर पैदा कर दी है। क्षेत्र में किसी भी तरह की अशांति से कच्चे तेल (Crude Oil) की आपूर्ति बाधित होती है, जिससे उसकी कीमतें उछल जाती हैं।
ईरान अगर जवाबी हमला करता है तो क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर बड़ा संकट आ सकता है।
तेल की कीमतों में उछाल: भारत को क्यों हो रही है चिंता?
इस्राइली हमलों के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 8.84% की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 75.49 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। यदि तनाव और गहराया, तो यह आंकड़ा 85–90 डॉलर तक भी जा सकता है।
भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है, और 2024 के आंकड़ों के अनुसार भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति में:
- OPEC देशों की हिस्सेदारी: 51.5%
- रूस की हिस्सेदारी: 36%
- ईरान की भागीदारी हालांकि अब सीमित है, लेकिन OPEC से जुड़ी कीमतों में बदलाव का सीधा असर भारत के ईंधन बिल पर पड़ता है।
पेट्रोल-डीजल महंगे तो हर चीज़ महंगी: कैसे बढ़ेगी महंगाई?
भारत में पहले ही महंगाई दर घटकर 2.82% तक आ गई थी और आरबीआई ने रेपो रेट को घटाकर 5.50% कर दिया था। लेकिन अब:
- कच्चे तेल के महंगे होने से ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बढ़ेगी
- खाद्य वस्तुएं, दवाएं और रोज़मर्रा की चीज़ें होंगी महंगी
- फ्यूल सब्सिडी पर दबाव बढ़ेगा
- सरकार का वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) भी बढ़ सकता है
इससे महंगाई की रफ्तार फिर से तेज हो सकती है, जो आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालेगी।
निवेशकों का भरोसा हिला: शेयर बाजार में गिरावट, सोना और डॉलर की डिमांड बढ़ी
अस्थिरता के इस माहौल में निवेशक ‘सेफ हेवेन’ यानी अमेरिकी डॉलर और सोने की ओर भाग रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखी जा रही है, जो यह दर्शाता है कि बाजार इस युद्ध से चिंतित है।
- गोल्ड की कीमतों में तेजी
- रुपया कमजोर होने की आशंका
- विदेशी निवेशकों की निकासी का खतरा
रक्षा और विदेश नीति पर भी पड़ सकता है असर
भारत की रणनीतिक नीति भी इस संकट से प्रभावित हो सकती है। भारत ईरान के साथ चाबहार पोर्ट परियोजना में साझेदार है, और इस क्षेत्र में अस्थिरता परियोजना की प्रगति को धीमा कर सकती है। साथ ही, भारत के लिए ईरान और इस्राइल दोनों से रिश्तों को संतुलित रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
महंगाई से राहत चाहिए तो चाहिए शांति का रास्ता
अगर ईरान-इस्राइल के बीच तनाव जल्द खत्म नहीं होता, तो भारत में ईंधन से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं तक हर चीज़ के दाम बढ़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सभी देश मिलकर कूटनीतिक समाधान तलाशें, ताकि आर्थिक अस्थिरता को रोका जा सके।
(Disclaimer): यह लेख ईरान-इस्राइल युद्ध की वर्तमान स्थिति पर आधारित है और इसका उद्देश्य भारत पर संभावित आर्थिक प्रभावों की जानकारी देना है।