India EV Policy 2025: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की नई क्रांति, निवेश और निर्माण को मिलेगी नई रफ्तार

India Briefs Team
7 Min Read
India EV Policy 2025: इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में बड़ा बदलाव, निवेश और निर्माण को मिलेगी रफ्तार

भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए India EV Policy 2025 का ऐलान किया है। यह नीति न केवल घरेलू ईवी उद्योग को मजबूती देने की दिशा में एक ठोस प्रयास है, बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करने का एक सुविचारित माध्यम है। नीति के केंद्र में है – स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना, और भारत को वैश्विक ईवी हब में बदलने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाना।


विदेशी इलेक्ट्रिक ( EV ) गाड़ियों पर अब कम शुल्क

India EV Policy 2025 के तहत विदेशी ईवी कंपनियों को अब भारत में कुछ सीमाओं के साथ वाहन आयात करने की अनुमति दी जाएगी। जिन इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत $35,000 (लगभग ₹30 लाख) या उससे कम होगी, उन पर अब सिर्फ 15% कस्टम ड्यूटी लगेगी। जबकि पहले यह दर 70% से 110% तक थी। इससे साफ है कि सरकार उन कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहती है जो वाजिब दामों पर तकनीक ला सकती हैं और देश में उत्पादन शुरू करने के इच्छुक हैं।

यह निर्णय भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती और आधुनिक ईवी तकनीक उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।


टेस्ला को नहीं मिलेगा कोई विशेष लाभ

हालांकि इस नीति से हर कंपनी को राहत नहीं मिलेगी। अमेरिकी ईवी कंपनी टेस्ला को इस नीति के अंतर्गत कोई बड़ी छूट नहीं मिल रही है। भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने स्पष्ट किया कि टेस्ला भारत में सिर्फ अपनी गाड़ियों को इम्पोर्ट कर बेचने की योजना पर काम कर रही है और भारत में न तो सुपरचार्जर नेटवर्क विकसित कर रही है और न ही उत्पादन इकाई स्थापित करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठा रही है।

सरकार का फोकस ऐसे निवेशकों पर है जो भारत में दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के साथ आएं और केवल मुनाफे के लिए बाजार में उपस्थिति न बनाएं।


कड़े निवेश मानदंड: 4,100 करोड़ का न्यूनतम निवेश अनिवार्य

भारत सरकार ने नीति के तहत विदेशी कंपनियों के लिए ₹4,100 करोड़ (लगभग $486 मिलियन) का न्यूनतम निवेश निर्धारित किया है। यह निवेश तीन साल की समयावधि में करना अनिवार्य होगा। निवेश की राशि मुख्यतः इन क्षेत्रों में उपयोग होनी चाहिए:

  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D)
  • प्लांट, मशीनरी और उपकरण
  • चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (अधिकतम 5%)
  • इमारत निर्माण (अधिकतम 10%)

इसके अलावा, भूमि की लागत को इस निवेश में शामिल नहीं किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वास्तविक उत्पादन और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित हो।


हर साल 8000 EV यूनिट्स तक ही इम्पोर्ट की इजाजत

सरकार ने आयात को लेकर भी एक सीमा तय की है। एक कंपनी प्रति वर्ष अधिकतम 8,000 EV यूनिट्स का ही आयात कर सकेगी। यदि कोई कंपनी किसी वर्ष यह संख्या पूरी नहीं कर पाती, तो वह बचे हुए यूनिट्स को अगले वर्ष स्थानांतरित कर सकती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कंपनियां अनावश्यक रूप से सस्ते आयात के जरिए बाजार पर कब्जा न कर सकें।


इन कंपनियों को मिलेगा आवेदन का अवसर

नीति के तहत केवल उन्हीं कंपनियों को आवेदन करने की अनुमति दी गई है:

  • जिनका सालाना ऑटोमोबाइल रेवेन्यू ₹10,000 करोड़ या उससे अधिक है।
  • जिनके पास ₹3,000 करोड़ से अधिक की फिक्स्ड एसेट्स मौजूद हैं।
  • जिन्हें तीन साल में 25% और पांच साल में 50% तक घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) हासिल करना होगा।

इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार केवल उन्हीं कंपनियों को प्रवेश देना चाहती है जो न केवल वित्तीय रूप से सशक्त हों बल्कि दीर्घकालिक मैन्युफैक्चरिंग रणनीति भी लेकर चलें।


आवेदन प्रक्रिया और समयसीमा

India EV Policy 2025 के अंतर्गत आवेदन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसके लिए एक 120 दिन की विंडो तय की गई है। अगर आवश्यक हुआ, तो यह विंडो 15 मार्च 2026 तक दोबारा खोली जा सकती है। इससे कंपनियों को उचित योजना और तैयारी का पर्याप्त समय मिलेगा।

VinFast और अन्य कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी

वियतनाम की EV कंपनी VinFast पहले ही भारत में प्लांट लगाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। लेकिन इसकी गाड़ियों की उच्च कीमत और ब्रांड की सीमित पहुंच इसके व्यापक विस्तार में बाधा बन सकती है।

वहीं दूसरी ओर, Mercedes-Benz, Volkswagen India, Hyundai जैसी जानी-मानी कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने को लेकर सक्रिय हैं। इन कंपनियों का अनुभव और ब्रांड वैल्यू उन्हें इस नई नीति में लाभ लेने के लिए बेहतर स्थिति में रखता है।

ये भी पढ़ें… वियतनामी ब्रांड विनफास्ट (VinFast) भारत में कदम रखने को तैयार: जानिए पूरी रणनीति


BYD जैसी कंपनियों को फिलहाल नहीं मिलेगी एंट्री

नीति की सख्ती के चलते चीनी कंपनी BYD जैसी वैश्विक कंपनियों के लिए भारत में प्रवेश पाना कठिन हो गया है। इससे एक ओर जहां घरेलू ईवी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा से राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर, विदेशी टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन एक्सपर्ट्स की भागीदारी सीमित हो सकती है। हालांकि, सरकार का मानना है कि दीर्घकालिक हितों को देखते हुए यह प्रतिबंध सकारात्मक रहेगा।



भारत बनेगा वैश्विक ईवी केंद्र

India EV Policy 2025 निस्संदेह भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को नई दिशा देने वाली नीति है। यह नीति विदेशी कंपनियों को सिर्फ बाजार में घुसपैठ की अनुमति नहीं देती, बल्कि उन्हें भारत की औद्योगिक प्रगति में भागीदार बनने की शर्तों पर आमंत्रित करती है।

इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारत न केवल EV का बड़ा बाजार बने, बल्कि एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च हब के रूप में भी उभरे। घरेलू कंपनियों को भी इससे तकनीकी और बुनियादी ढांचे में सुधार करने का अवसर मिलेगा।

Whatsapp updates पर अन्य जानकारी पाने के लिए हमारे Whatsapp चैनल को फॉलो करे

Share This Article
Leave a Comment