
मुलहाउस (Mulhouse) में हिंसक हमला, पुलिसकर्मी घायल
शनिवार को पूर्वी फ्रांस के मुलहाउस (Mulhouse) शहर में एक संदिग्ध आतंकवादी द्वारा किए गए चाकू हमले में 69 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। यह हमला एक प्रो-कांगो (Pro-Congo) प्रदर्शन के दौरान हुआ, जिसमें दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि तीन अन्य को मामूली चोटें आईं।
फ्रांस के राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “इस्लामी आतंकवाद (Islamic Terrorism) का कार्य” करार दिया। उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक आतंकवादी हमला था।”
हमलावर कौन था?
फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार, हमलावर एक 37 वर्षीय अल्जीरियाई (Algerian) व्यक्ति था, जो हमला करते समय “अल्लाहु अकबर” (“Allahu Akbar”) के नारे लगा रहा था। यह व्यक्ति पहले से ही उन लोगों की सूची में था जिन्हें कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए चिह्नित किया गया था। क्षेत्रीय अभियोजक ने पुष्टि की कि हमलावर को पहले भी कट्टरपंथी विचारधारा के कारण पहचाना गया था।
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हमले के दौरान, एक 69 वर्षीय पुर्तगाली (Portuguese) नागरिक, जो वहां से गुजर रहा था, पुलिस की मदद करने की कोशिश में मारा गया। फ्रांस के आतंकवाद निरोधक अभियोजन कार्यालय (PNAT – National Anti-Terrorism Prosecutor’s Office) ने इस घटना की पुष्टि की।
गिरफ्तारी और जांच
हमलावर को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और अब वह हिरासत में है। फ्रांस का आतंकवाद निरोधक अभियोजन कार्यालय (PNAT) इस मामले की पूरी जांच कर रहा है।
हमले के बाद सुरक्षा बढ़ाई गई
घटना के बाद, फ्रांस के आंतरिक मंत्री मुलहाउस पहुंचे और सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया गया। शहर के बाजार और अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
फ्रांस में लगातार बढ़ते आतंकवादी हमले
यह हमला फ्रांस में हाल के वर्षों में हुए कई आतंकवादी हमलों की कड़ी में एक और भयावह घटना है। फ्रांस पहले भी इस्लामिक स्टेट (ISIS – Islamic State of Iraq and Syria) और अल-कायदा (Al-Qaeda) से जुड़े आतंकवादियों के हमलों का शिकार हो चुका है, जिससे देश में चरमपंथी हमलों को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है।
फ्रांस और अल्जीरिया के बीच तनाव
अधिकारियों ने बताया कि हमलावर 2014 में बिना दस्तावेजों के फ्रांस आया था। 7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल (Israel) पर हमास (Hamas) के हमले के बाद, उसने आतंकवाद का समर्थन किया था, जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया था। उसे कुछ महीनों की जेल की सजा हुई थी और फिर नजरबंद रखा गया था क्योंकि फ्रांसीसी अधिकारी उसे अल्जीरिया (Algeria) भेजने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि, अल्जीरिया (Algeria) उसे वापस लेने से इनकार कर रहा था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बैयरो (François Bayrou) ने कहा, “एक बार फिर कट्टरपंथ (radicalism) ने हमें निशाना बनाया है और हम शोक में हैं। मेरा दिल पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ है। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ और पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना करता हूँ।”
शनिवार रात तक, हमले का स्थान पूरी तरह से घेर लिया गया था और फॉरेंसिक विशेषज्ञ जांच में जुटे थे। इस दौरान, विशेष बल (special forces) और पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था संभाले हुए थे।
क्या इस तरह की घटनाएँ रुक सकती हैं?
फ्रांस में इस तरह की घटनाएँ सरकार और जनता के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई हैं। कट्टरपंथी हमलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि देश में शांति और सुरक्षा बनी रहे।
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