ABS बनाम Non-ABS: ब्रेकिंग टेक्नोलॉजी में कौन है ज्यादा सुरक्षित? जानिए आपके लिए सही विकल्प

India Briefs Team
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ABS vs Non ABS

नई दिल्ली: भारत में सड़क सुरक्षा एक गंभीर और बढ़ती हुई चिंता का विषय है। हर साल हजारों लोग सड़कों पर दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिनमें से अधिकतर मामलों में वाहन पर नियंत्रण न होना मुख्य कारण होता है। इस चुनौती से निपटने के लिए ऑटोमोबाइल उद्योग में तकनीकी बदलाव तेजी से हो रहे हैं। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक तकनीक का नाम है एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS)

यह टेक्नोलॉजी अब कई दोपहिया और चारपहिया वाहनों में अनिवार्य होती जा रही है। लेकिन फिर भी कई उपभोक्ता ABS और Non-ABS के बीच का फर्क और इसके फायदे पूरी तरह नहीं समझ पाते। आइए विस्तार से जानते हैं कि दोनों तकनीकों में क्या अंतर है, ABS कैसे काम करता है, और आपकी अगली गाड़ी में यह क्यों अनिवार्य होना चाहिए।


भारत में सड़क दुर्घटनाएं: एक चिंताजनक तस्वीर

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, 2023 में देशभर में 1.55 लाख से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। इनमें से बड़ी संख्या में हादसे तेज गति में वाहन के अनियंत्रित हो जाने या ब्रेकिंग फेल होने के कारण हुए।

तेज रफ्तार, खराब सड़कें, अचानक ब्रेक लगाना और बारिश जैसे मौसमीय कारक इन दुर्घटनाओं को और भी बढ़ा देते हैं। ऐसी स्थिति में ABS जैसी तकनीक वाहन नियंत्रण बनाए रखने में बेहद मददगार साबित होती है।

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ABS बनाम नॉन-ABS: जानिए क्या है फर्क?

1. ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम):

ABS एक ऐसी ब्रेकिंग प्रणाली है जो आपातकालीन स्थिति में वाहन के पहियों को लॉक नहीं होने देती। जब चालक अचानक ब्रेक लगाता है, तो यह सिस्टम पहियों की गति को मॉनिटर करता है और ब्रेकिंग फोर्स को इस तरह नियंत्रित करता है कि वाहन अपनी दिशा में चलता रहे और फिसले नहीं। इससे दुर्घटनाओं की संभावना बहुत कम हो जाती है।

2. Non-ABS (परंपरागत ब्रेक सिस्टम):

इस ब्रेकिंग प्रणाली में कोई इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण नहीं होता। यदि आप तेज रफ्तार में अचानक ब्रेक लगाते हैं, तो पहिए लॉक हो सकते हैं, जिससे वाहन फिसल सकता है और चालक का नियंत्रण खत्म हो सकता है। विशेष रूप से फिसलनभरी सड़क, बारिश या ढलान पर यह सिस्टम खतरनाक साबित हो सकता है।

ABS सिस्टम के प्रमुख लाभ

1. बेहतर नियंत्रण:
आपातकालीन स्थिति में भी वाहन चालक को अपने वाहन पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलती है। यह विशेष रूप से हाईवे या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अत्यंत आवश्यक होता है।

2. फिसलने का कम जोखिम:
ABS पहियों की स्पीड को ऑटोमेटिक रूप से एडजस्ट करता है, जिससे ब्रेक लगाने के दौरान वाहन फिसलता नहीं है।

3. दुर्घटनाओं की आशंका कम:
वाहन की दिशा बनी रहती है और रुकने की दूरी कम होती है, जिससे टक्कर की संभावना घट जाती है।

4. बारिश और खराब मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा:
बारिश या कीचड़ वाली सड़कों पर ABS एक सुरक्षा कवच का काम करता है।

ABS तकनीक कैसे काम करती है?

ABS सिस्टम तीन मुख्य घटकों से मिलकर बना होता है:

  1. स्पीड सेंसर: ये सेंसर हर पहिए की गति को लगातार मॉनिटर करते हैं।
  2. इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU): यह यूनिट सेंसर से प्राप्त डेटा को प्रोसेस करती है और आवश्यक निर्देश भेजती है।
  3. हाइड्रोलिक कंट्रोल यूनिट: ECU के निर्देश पर यह यूनिट ब्रेकिंग फोर्स को नियंत्रित करती है।

जब चालक ब्रेक लगाता है और किसी पहिए के लॉक होने का संकेत मिलता है, तो ECU तुरंत हाइड्रोलिक यूनिट को एक्टिवेट करता है, जिससे उस पहिए पर ब्रेकिंग फोर्स घट जाती है और वह फिर से घूमने लगता है। यह प्रक्रिया हर सेकेंड में कई बार होती है, जिससे वाहन को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

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ABS बनाम नॉन-ABS: स्थिति आधारित तुलना

मापदंडABS सिस्टमNon-ABS सिस्टम
अचानक ब्रेकिंग पर नियंत्रणउच्चकम
फिसलनभरी सतह पर प्रदर्शनबेहतरकमजोर
वाहन की दिशा नियंत्रणबना रहता हैबिगड़ सकता है
सुरक्षा स्तरबहुत अधिकसीमित
कीमतथोड़ा अधिककम

भारत में ABS नियम और सरकार की पहल

भारत सरकार ने 2019 से यह नियम लागू किया है कि 125cc से अधिक की दोपहिया गाड़ियों और सभी नए चारपहिया वाहनों में ABS अनिवार्य होगा। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है।

लेकिन आज भी बाजार में ऐसे कई पुराने मॉडल उपलब्ध हैं जिनमें यह सुविधा नहीं होती। ऐसे में उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वह वाहन खरीदते समय सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

उपभोक्ताओं के लिए सलाह: कौन-सा वाहन चुनें?

जब आप अगली बार नया वाहन खरीदने जाएं, तो केवल कीमत या माइलेज पर ध्यान न दें। सुरक्षा तकनीकें, विशेष रूप से ABS, अब वाहन के आवश्यक हिस्से बन चुकी हैं।

इसलिए वाहन खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  • क्या वाहन में ABS मौजूद है?
  • क्या यह सिंगल चैनल या डुअल चैनल ABS है (दोपहिया के लिए)?
  • वाहन का ब्रेकिंग सिस्टम आपकी आवश्यकताओं के अनुसार है या नहीं?
  • क्या कंपनी ने सुरक्षा पर स्पष्ट जानकारी दी है?

विशेषज्ञों की राय

वाहन सुरक्षा विशेषज्ञ अरुण माथुर के अनुसार,
“भारत में ड्राइविंग स्थितियां अनिश्चित होती हैं – ट्रैफिक का दबाव, खराब सड़कें और मौसमीय परिवर्तन आम हैं। ऐसे में ABS जैसी तकनीक दुर्घटना को टालने में अत्यधिक कारगर है। यदि सभी वाहन ABS से लैस हों, तो सड़क दुर्घटनाओं में 20% से अधिक की कमी लाई जा सकती है।”

भारत जैसे देश में, जहां सड़क सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है, वहां ABS एक जरूरी टेक्नोलॉजी बन चुका है। यह केवल एक फीचर नहीं बल्कि एक जीवन रक्षक प्रणाली है जो आपके और आपके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

जब सड़क पर एक छोटी सी चूक भी जानलेवा हो सकती है, तो ABS जैसे सिस्टम को नजरअंदाज करना समझदारी नहीं होगी। वाहन खरीदते समय थोड़ी अधिक कीमत देकर यदि आप सुरक्षा में निवेश करते हैं, तो यह भविष्य में बड़ी हानि से आपको बचा सकता है।

इसलिए अगली बार जब आप वाहन खरीदने जाएं, तो ‘सुरक्षा पहले’ को अपना मूल मंत्र बनाएं और ABS से लैस मॉडल का ही चयन करें।

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