भारत में बड़े ऑफिस स्पेस की मांग: रफ्तार क्यों पकड़ रही है?

India Briefs Team
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GCC वेस्टियन रिपोर्ट FY‑25: Fortune 500 ने भारत में 44 % उछाल के साथ बड़े ऑफिस स्पेस क्यों चुने? जानें बंगलूरू का दबदबा।

वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) का आक्रामक विस्तार

वित्त वर्ष 2025 (FY‑25) में लीजिंग डील्स की संख्या 4 % घटने के बावजूद बड़े ऑफिस स्पेस की मांग रिकॉर्ड पर रही। वेस्टियन (Vestian) की नई रिपोर्ट के अनुसार एक लाख वर्ग फुट से बड़े “मैगा लीज़” 44 % बढ़कर 228 लाख वर्ग फुट तक पहुँच गए, जबकि FY‑24 में यह आँकड़ा 158 लाख वर्ग फुट था।

42 % मार्केट‑शेयर: GCC का देश‑व्यापी प्रभाव

रिपोर्ट बताती है कि FY‑25 में GCC ने भारत‑भर के कुल कार्यालय अधिग्रहण का 42 % हिस्सा हथिया लिया—FY‑24 के 41 % से थोड़ा अधिक। मूल्य लिहाज से कुल अवशोषण 24 % बढ़कर 31.8 लाख वर्ग फुट पर पहुँच गया, जो भारत में बड़े ऑफिस स्पेस की मांग को मजबूत करता है।

Fortune 500: प्रमुख प्रेरक शक्ति

Fortune 500 कंपनियों ने GCC द्वारा किराए पर लिए गए कुल स्पेस का 43 %—यानी 135 लाख वर्ग फुट—अपने नाम किया। यह आँकड़ा वर्ष‑दर‑वर्ष 25 % की छलाँग दिखाता है, जिससे भारत उनकी वैश्विक रणनीति में “हब‑ऑफ‑चॉइस” बन गया है।

किन सेक्टर्स ने माँग को बढ़ाया?

I T‑ITeS, BFSI, हेल्थकेयर, इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और कंसल्टिंग जैसे क्षेत्र तेज़ी से विस्तार कर रहे हैं। वेस्टियन के CEO श्रीनिवास राव का कहना है कि विश्व‑स्तरीय प्रतिभा, लागत‑सक्षमता, अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकारी प्रोत्साहन कंपनियों को बड़े ऑफिस स्पेस की मांग की ओर खींच रहे हैं।

बंगलूरू शीर्ष पसंद, NCR‑हैदराबाद भी दौड़ में

शहरवार आँकड़ों के अनुसार बंगलूरू ने बाजी मारी; यहाँ GCC ने 65 % लीज़ साइन की, FY‑24 के 55 % से ऊपर। इनमें 47 % हिस्सेदारी Fortune 500 की है। NCR, हैदराबाद और पुणे भी मज़बूत पाइपलाइन के साथ तैयार हैं, क्योंकि नए कैंपस‑स्टाइल प्रोजेक्ट एक‑साथ 1–2 लाख वर्ग फुट के ब्लॉक्स उपलब्ध करा रहे हैं।

रणनीति शिफ्ट: बड़े कैंपस, दीर्घकालिक नजरिया

कंपनियाँ छोटे फ्लोर‑प्लेट की बजाय बड़े और स्थायी कैंपस मॉडल चुन रही हैं। इससे संचालन केन्द्रित होता है, सहयोग बढ़ता है और ESG लक्ष्य सहजता से पूरे होते हैं। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2026‑27 तक ज़्यादातर GCC हाइब्रिड‑फर्स्ट ढाँचे के लिए 20–25 % अतिरिक्त फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखेंगी।


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आगे की राह

दुनिया‑भर की सुस्त अर्थव्यवस्था के बीच भारत की मैक्रो‑इकोनॉमिक स्थिरता मैग्नेट की तरह काम कर रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले 18–24 महीने “प्रेशर‑टू‑रिन्यू” के चलते और भी विशाल लीजिंग डील्स लाएँगे। साफ़ है कि भारत में बड़े ऑफिस स्पेस की मांग का ग्राफ निकट भविष्य में भी ऊर्ध्वगामी रहेगा।


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