8th Pay Commission को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच इस समय भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सरकार द्वारा वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बाद भी, इसके टर्म ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference – ToR) सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, जिससे कर्मचारियों की सबसे बड़ी प्रतिनिधि संस्था नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड), जेसीएम (JCM) ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर स्पष्टता की मांग की है।
टर्म ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference – ToR)
8वें वेतन आयोग के संदर्भ में ToR यानी “टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस” का मतलब है—वह रूपरेखा जिसके तहत आयोग काम करेगा। इसमें वेतन संशोधन के मानदंड, भत्तों की समीक्षा, सेवा शर्तें और सिफारिशें देने की समयसीमा तय होती है। केंद्रीय कर्मचारी इस ToR को लेकर खासे उत्सुक हैं, क्योंकि इसके आधार पर ही उनकी सैलरी और सुविधाओं में बदलाव होगा।
JCM ने कैबिनेट सचिव को लिखा पत्र
18 जून 2025 को JCM के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखा है, जिसमें मांग की गई है कि सरकार द्वारा तैयार किए गए आठवें वेतन आयोग के टीओआर को सार्वजनिक रूप से प्रसारित किया जाए। इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की आशंकाएं दूर होंगी और सरकार की पारदर्शिता पर विश्वास बना रहेगा।
The National Council-Joint Consultative Machinery (NC-JCM)
JCM यानी “जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी” (संयुक्त परामर्श तंत्र) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह केंद्र सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच संवाद और सहमति का एक औपचारिक मंच है, जहां कर्मचारियों के प्रतिनिधि (यूनियन नेता) और सरकारी अधिकारी एक साथ बैठकर कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
JCM का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान, उनकी सेवा शर्तों में सुधार और पारदर्शिता के साथ कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना है। यह तीन स्तरों पर कार्य करता है—राष्ट्रीय परिषद (National Council), विभागीय परिषदें (Departmental Councils), और क्षेत्रीय/कार्यालय परिषदें (Regional/Office Councils)।
8वें वेतन आयोग के गठन से पहले JCM की भूमिका और भी अहम हो जाती है, क्योंकि यूनियन प्रतिनिधि इसी मंच के ज़रिए सरकार के समक्ष वेतन, भत्ते, कार्य स्थितियों और कर्मचारियों की अन्य मांगों को रखते हैं। यही मंच आयोग की टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) तैयार करने में महत्वपूर्ण सुझाव देता है।
JCM में नियमित केंद्रीय सरकारी कर्मचारी शामिल होते हैं, हालांकि कुछ क्लास I और क्लास II सेवाओं को इससे बाहर रखा गया है। कुल मिलाकर, JCM सरकार और कर्मचारियों के बीच सेतु का कार्य करता है।
सरकार ने सुझाव मांगे, लेकिन जवाब नहीं दिया
जेसीएम का कहना है कि जब DoPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) ने 8वें वेतन आयोग के लिए ToR तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की, तब उसने कर्मचारियों की ओर से सुझाव मांगे थे। जेसीएम ने वह सुझाव पहले ही समय रहते दे दिए थे। इसके बावजूद अब तक न तो टीओआर साझा किए गए हैं और न ही किसी तरह की कोई आधिकारिक सूचना दी गई है। इससे करीब एक करोड़ कर्मचारी और पेंशनर संशय में हैं।
कर्मचारियों को क्यों हो रहा है संशय?
JCM के अनुसार, कर्मचारियों को नहीं पता कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों को कितनी प्राथमिकता दी गई है। पेंशनर वर्ग भी इस बात को लेकर चिंतित है कि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) से उन्हें लाभ मिलेगा या नुकसान। साथ ही, महंगाई राहत (Dearness Relief – DR) का क्या होगा, पेंशन में कितनी वृद्धि होगी, यह भी स्पष्ट नहीं है।
फरवरी में हुई थी स्थायी समिति की बैठक
10 फरवरी 2025 को JCM की स्थायी समिति की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता DoPT सचिव ने की थी। इसमें पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की बहाली, न्यूनतम वेतन में वृद्धि, महंगाई भत्ते का समायोजन, CGHS सेवाओं की समीक्षा जैसे कई मुद्दों को शामिल करने की मांग की गई थी।
JCM ने 8वें वेतन आयोग के लिए दिए ये प्रमुख सुझाव
1. न्यूनतम वेतन की परिभाषा में बदलाव
15वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर, ‘सम्मानजनक जीवन’ के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाए। Dr. Aykroyd फार्मूले को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया जाए।
2. पुरानी पेंशन योजना की बहाली
2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए CCS (Pension) Rules, 1972 को बहाल करने की मांग की गई।
3. CGHS और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार
सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस और परेशानी मुक्त चिकित्सा सुविधा देने की व्यवस्था की जाए। एफएमए और डाक पेंशनरों को भी लाभ मिले।
4. पांच पदोन्नति और MACP में संशोधन
कम से कम 5 पदोन्नति की व्यवस्था की जाए। MACP में मौजूद विसंगतियों को दूर किया जाए और पदानुक्रम में स्पष्टता लाई जाए।
5. जोखिम और कठिनाई भत्ते पर पुनर्विचार
रेलवे और रक्षा सिविलियन कर्मचारियों के लिए जोखिम भत्ता और बीमा कवर की विशेष व्यवस्था की मांग की गई, जो 24×7 खतरनाक परिस्थितियों में कार्यरत हैं।
ToR में शामिल करने की अन्य प्रमुख बातें
- वेतन संरचना, भत्ते, ग्रेच्युटी, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा
- कर्मचारी और पेंशनरों के लिए अंतरिम राहत (Interim Relief) का प्रावधान
- 7वें वेतन आयोग से संबंधित लंबित विसंगतियों का समाधान
- सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन में हर 5 साल में वृद्धि की अनुशंसा
- पोस्टग्रेजुएट स्तर तक बच्चों की शिक्षा भत्ता की समीक्षा
- समाप्त किए गए त्योहारी अग्रिम (Festival Advance) को पुनः शुरू करना
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JCM ने क्या जताई आशंका?
JCM का कहना है कि सरकार ने आश्वासन जरूर दिया था कि कर्मचारियों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा और उचित समय पर अगली बैठक बुलाई जाएगी, लेकिन अब तक कोई संवाद नहीं हुआ। न ही टीओआर की अंतिम प्रति जेसीएम को सौंपी गई है, जिससे संदेह की स्थिति बनी हुई है।
कर्मचारियों की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों में आशा और आशंका दोनों बनी हुई है। अगर सरकार जल्द ही टीओआर को सार्वजनिक करती है और जेसीएम के साथ संवाद बहाल करती है, तो कर्मचारियों में सरकार के प्रति विश्वास और ऊर्जा दोनों बनी रहेंगी। पारदर्शिता ही इस वक्त सरकार के लिए सबसे मजबूत माध्यम बन सकती है।
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