चार से छह वर्षों में पूरा होगा निर्माण, यात्रा होगी आसान और सुगम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने उत्तराखंड में दो प्रमुख रोपवे परियोजनाओं – सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंट साहिब जी – को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं की कुल लागत ₹6,811 करोड़ है और इनका निर्माण राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा।
केदारनाथ रोपवे: यात्रा मात्र 36 मिनट में होगी पूरी
वर्तमान में, श्रद्धालु गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किमी की कठिन चढ़ाई पैदल, खच्चरों या पालकियों के माध्यम से पूरी करते हैं। इस यात्रा में लगभग 8-9 घंटे लगते हैं। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक बनने वाला 13 किमी लंबा रोपवे, अत्याधुनिक ट्राई-कैबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित होगा और प्रति घंटे 1,800 यात्री एक दिशा में यात्रा कर सकेंगे। इस परियोजना से प्रतिदिन 18,000 श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकेंगे।
इस रोपवे के बनने से यात्रा का समय मात्र 36 मिनट रह जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को पर्यावरण-अनुकूल, सुविधाजनक और तेज़ यात्रा का लाभ मिलेगा। पिछले वर्ष 23 लाख तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ धाम के दर्शन किए थे और इस परियोजना के पूरा होने पर यह संख्या 36 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है।
हेमकुंट साहिब रोपवे: श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए वरदान
हेमकुंट साहिब जी तक की यात्रा वर्तमान में गोविंदघाट से 21 किमी के कठिन ट्रेक द्वारा पूरी होती है, जिसे पैदल, खच्चरों या पालकियों से तय किया जाता है। यह यात्रा विशेष रूप से बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। गोविंदघाट से हेमकुंट साहिब जी तक बनने वाला 12.4 किमी लंबा रोपवे, डिज़ाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल पर विकसित किया जाएगा और इसकी कुल लागत ₹2,730.13 करोड़ होगी।
इस रोपवे का निर्माण दो भागों में किया जाएगा:
- गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) – मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (MDG) तकनीक पर आधारित
- घांघरिया से हेमकुंट साहिब जी (1.85 किमी) – अत्याधुनिक ट्राई-कैबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक पर आधारित
इस परियोजना के पूरा होने पर यह रोपवे प्रति घंटे 1,100 यात्री और प्रतिदिन 11,000 श्रद्धालु ले जाने में सक्षम होगा।
पिछले वर्ष 1.77 लाख श्रद्धालुओं ने हेमकुंट साहिब जी की यात्रा की थी, लेकिन इस रोपवे के बनने के बाद यह संख्या 10 गुना बढ़ने की संभावना है।
केदारनाथ और हेमकुंट साहिब का धार्मिक और पर्यटन महत्व
केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह 3,583 मीटर (11,968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह धाम अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दिवाली (अक्टूबर-नवंबर) तक 6-7 महीने के लिए खुला रहता है और हर साल लगभग 20 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
वहीं, हेमकुंट साहिब जी 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिखों का एक पवित्र तीर्थस्थल है, जहां गुरु गोविंद सिंह जी ने ध्यान लगाया था। यह स्थल लक्ष्मण जी की तपस्या भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह गुरुद्वारा मई से सितंबर तक 5 महीने के लिए खुलता है और सालाना 1.5-2 लाख श्रद्धालु यहां आते हैं।
इसके अलावा, यह क्षेत्र युनेस्को विश्व धरोहर स्थल ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ का प्रवेश द्वार भी है, जहां प्रकृति प्रेमी और पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
रोजगार और आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
इन रोपवे परियोजनाओं से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसके अलावा, इनसे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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