डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2022 में UPI ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को हटा दिया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार इसे फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। अगर यह फैसला लिया जाता है, तो बड़े व्यापारियों को UPI लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है, जिससे डिजिटल पेमेंट करने वाले ग्राहकों और कारोबारियों को झटका लग सकता है।
बड़े व्यापारियों को देना पड़ सकता है MDR शुल्क
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकिंग उद्योग ने केंद्र सरकार को UPI ट्रांजैक्शन पर MDR शुल्क फिर से लागू करने का औपचारिक अनुरोध भेजा है। सरकार इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रही है और एक स्तरीय मूल्य निर्धारण मॉडल (Tiered Pricing Model) अपनाने पर विचार कर रही है।
इस मॉडल के तहत—
40 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को GST फाइलिंग के आधार पर MDR शुल्क देना पड़ सकता है।
40 लाख रुपये से कम के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए UPI लेनदेन निःशुल्क रहेगा।
UPI पर अभी कोई चार्ज नहीं, लेकिन हो सकता है बदलाव
वर्तमान में UPI और RuPay डेबिट कार्ड से किए गए भुगतान पर कोई MDR शुल्क नहीं लगता, क्योंकि ये नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के माध्यम से संचालित होते हैं। लेकिन डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री का मानना है कि बैंक और भुगतान सेवा प्रदाताओं को अपनी सेवाएं सुचारू रूप से जारी रखने के लिए MDR शुल्क आवश्यक है।
UPI ट्रांजैक्शन के आंकड़े
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, फरवरी 2025 में UPI ट्रांजैक्शंस ने 16.11 बिलियन का आंकड़ा पार किया, जिसकी कुल राशि करीब 22 ट्रिलियन रुपये थी। वहीं, जनवरी 2025 में 16.99 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए थे।
क्या होगा असर?
अगर सरकार UPI पर MDR शुल्क लागू करती है, तो बड़े व्यापारियों को डिजिटल भुगतान पर अतिरिक्त लागत उठानी पड़ेगी। इससे संभवतः कुछ व्यापारी कैश ट्रांजैक्शन को प्राथमिकता दे सकते हैं, जिससे डिजिटल लेनदेन पर असर पड़ सकता है।
हालांकि, सरकार छोटे व्यापारियों और ग्राहकों को राहत देने के लिए संतुलित रणनीति अपना सकती है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या अंतिम फैसला लेती है।
आपको क्या लगता है? UPI ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगना चाहिए या नहीं? अपने विचार कमेंट में बताएं!
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