महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के 15 गांवों में अचानक सैकड़ों लोग गंजे होने लगे। पहले सिर में हल्की खुजली शुरू होती, फिर बाल झड़ने लगते और तीन दिन के भीतर लोग पूरी तरह गंजे हो जाते। यह रहस्यमयी बीमारी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई। क्या बच्चे, क्या बुज़ुर्ग—हर कोई इससे प्रभावित होने लगा। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि गांवों में आधे से ज्यादा लोग गंजे नजर आने लगे। इलाज के लिए लोगों ने आयुर्वेद से लेकर एलोपैथ तक का सहारा लिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
जब स्वास्थ्य विभाग ने इस अजीबोगरीब समस्या की जांच शुरू की, तो पानी के सैंपल लिए गए और कई मेडिकल टेस्ट किए गए। लेकिन असली वजह का खुलासा तब हुआ जब पद्मश्री सम्मानित डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपनी खुद की रिसर्च शुरू की। उन्होंने पाया कि इस गंजेपन का कारण पंजाब से सरकारी गल्ले में आया गेहूं था!
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर की रिसर्च ने किया बड़ा खुलासा
डॉ. बावस्कर, जो महाराष्ट्र के प्रसिद्ध फिजिशियन और ग्रामीण स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं, ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने खर्च पर गहराई से रिसर्च करने का फैसला किया। उन्होंने गांव के सरपंच के घर से सरकारी गल्ले में आए गेहूं के सैंपल लिए और उसकी लैब टेस्टिंग करवाई।
रिसर्च में यह सामने आया कि इस गेहूं में सेलेनियम की मात्रा जरूरत से ज्यादा थी, जबकि जिंक की मात्रा बेहद कम पाई गई। सेलेनियम की अधिकता और जिंक की कमी के कारण लोगों के बाल तेजी से झड़ने लगे और वे गंजे हो गए।
तीन दिनों में गंजे हो रहे थे गांव के लोग
पहले दिन सिर में खुजली और जलन शुरू होती थी।
दूसरे दिन बाल झड़ने लगते और तेजी से गिरते जाते।
तीसरे दिन व्यक्ति पूरी तरह गंजा हो जाता था।
यह बीमारी इतनी तेजी से फैली कि लोग डर गए। कोई इसे बुरी आत्माओं का असर बता रहा था, तो कोई इसे पानी की खराबी या हवा में प्रदूषण का कारण मान रहा था। लेकिन असल वजह कुछ और ही निकली।
पंजाब के गेहूं में था सेलेनियम, जिससे झड़ गए बाल!
डॉ. बावस्कर की रिसर्च के मुताबिक, अत्यधिक सेलेनियम शरीर में जहरीले प्रभाव डाल सकता है। लंबे समय तक ऐसे तत्वों से भरपूर अनाज खाने से बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और वे झड़ने लगते हैं।
सेलेनियम के अधिक सेवन से होने वाले संभावित दुष्प्रभाव:
बाल झड़ना और गंजापन
त्वचा में जलन और खुजली
हड्डियों और दांतों पर असर
पाचन संबंधी दिक्कतें
इस गेहूं में जिंक की भी कमी थी, जो बालों की ग्रोथ और स्कैल्प हेल्थ के लिए बेहद जरूरी होता है। यही कारण था कि बाल झड़ने की समस्या इतनी तेजी से फैली।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन भी हुआ सतर्क
जब डॉ. बावस्कर की इस रिसर्च के नतीजे सामने आए, तो स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई। सरकारी गल्ले में आए अनाज की और भी सैंपलिंग की गई और इस गेंहू के वितरण को रोका गया। प्रशासन ने गांव के लोगों को सावधान रहने और फिलहाल इस गेहूं का सेवन न करने की सलाह दी।
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर: ग्रामीण स्वास्थ्य के संरक्षक
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर पहले भी ग्रामीण क्षेत्रों में अजीबोगरीब स्वास्थ्य समस्याओं पर रिसर्च कर चुके हैं। उनकी रिसर्च ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कई बीमारियों की असली वजह हमारे खानपान और पर्यावरण में छिपी होती है।
उन्होंने प्रशासन से यह मांग की कि भविष्य में किसी भी राज्य से आने वाले अनाज की गुणवत्ता की जांच पहले ही कर ली जाए, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
क्या आपके अनाज की गुणवत्ता सुरक्षित है? अगर संदेह हो तो तुरंत इसकी जांच करवाएं!
ऐसी खबरों के लिए हमें फॉलो करें:-https://indiabriefs.com/
Whatsapp updates पर अन्य जानकारी पाने के लिए हमारे Whatsapp चैनल को फॉलो करे