Hera Pheri 3: परेश रावल ने छोड़ी हेरा फेरी 3 : एक विवाद, कई परतें
बॉलीवुड की सबसे पॉपुलर कॉमेडी फ्रेंचाइज़ी ‘हेरा फेरी’ एक बार फिर विवादों में है। इस बार मुद्दा है — फिल्म के सबसे प्यारे किरदार ‘बाबूराव गणपत राव आप्टे’ यानी परेश रावल का फिल्म से अचानक बाहर हो जाना। ये सिर्फ एक एक्टर की फिल्म से विदाई नहीं, बल्कि एक बड़ी कानूनी और क्रिएटिव खींचतान की कहानी है, जिसने ‘हेरा फेरी 3’ की नींव को ही हिला दिया है।
कोई स्क्रिप्ट नहीं, सिर्फ पोस्टर शूट!
बताया जा रहा है कि परेश रावल की असहजता की शुरुआत वहीं से हुई जब उन्हें फिल्म का कोई फाइनल स्क्रिप्ट या उनके किरदार की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। बावजूद इसके, वे एक प्रमोशनल शूट का हिस्सा बने जिसमें उन्हें अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी के साथ फिर से ‘बाबू भैया’ के रूप में दिखाया गया। इस शूट के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज़ हो गई कि ‘हेरा फेरी 3’ की शूटिंग जल्द शुरू होने वाली है।
लेकिन सूत्रों की मानें तो फिल्म के पास उस समय कोई स्पष्ट की हुई पटकथा नहीं थी। परेश रावल ने जब इस पर सवाल उठाए, तो उन्हें न कोई स्पष्ट जवाब मिला और न ही कोई ठोस क्रिएटिव विज़न साझा किया गया।
कानूनी झगड़ा: भरोसे का उल्लंघन या अनुबंध की कमी?
अब बात आई उस बड़े विवाद की जिसने इस फिल्म की गरिमा को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया। अक्षय कुमार की प्रोडक्शन कंपनी Cape of Good Films ने परेश रावल को ₹25 करोड़ का लीगल नोटिस भेजा है। कंपनी का आरोप है कि परेश रावल ने ₹11 लाख की साइनिंग अमाउंट ली, प्रोजेक्ट के लिए हामी भरी, लेकिन बाद में फिल्म से हटकर प्रोडक्शन की योजना और समयसीमा को बाधित किया।
दूसरी ओर, परेश रावल की कानूनी टीम का कहना है कि न तो कोई लिखित समझौता हुआ था, न स्क्रिप्ट, न ही किरदार की व्याख्या। इसलिए किसी औपचारिक अनुबंध की गैर-मौजूदगी में उन्हें फिल्म छोड़ने का पूरा हक था। उन्होंने साइनिंग अमाउंट को 15% ब्याज के साथ लौटा दिया — वह भी कानूनी नोटिस मिलने से पहले। उनकी टीम इस मुकदमे को “बेबुनियाद” बता रही है।
फ्रेंचाइज़ी राइट्स की लड़ाई: एक और बड़ा विवाद
इस विवाद को और उलझाता है ‘हेरा फेरी’ ब्रांड के अधिकारों को लेकर जारी जंग। फ्रेंचाइज़ी के मूल निर्माता फिरोज़ नाडियाडवाला का दावा है कि उन्होंने ‘हेरा फेरी’ के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स को फिर से हासिल कर लिया है।
उनकी टीम ने कथित रूप से अक्षय कुमार और अन्य लोगों को बिना कानूनी अनुमति के किसी नए संस्करण को प्रमोट करने से मना किया था। ऐसी स्थिति में, परेश रावल का फिल्म में शामिल न होना समझ में आता है — कोई भी अनुभवी अभिनेता किसी ऐसी परियोजना का हिस्सा नहीं बनना चाहेगा, जो कानूनी विवादों से घिरी हो।
‘ओह माय गॉड 2’ से गायब थे परेश रावल: क्या यह दूरी की शुरुआत थी?
हालांकि इसका ‘हेरा फेरी’ से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि परेश रावल और अक्षय कुमार के बीच की दूरी OMG 2 के समय से ही शुरू हो गई थी।
जहां अक्षय कुमार इस फिल्म में सहायक लेकिन अहम भूमिका में थे और निर्माता भी थे, वहीं पहले भाग के मुख्य नायक परेश रावल सीक्वल में नदारद रहे। यह निर्णय सिर्फ स्क्रिप्ट का नहीं, बल्कि एक गहरी क्रिएटिव असहमति का भी संकेत हो सकता है।
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क्रिएटिव कंट्रोल और पुरानी गलतियों से सबक
परेश रावल पहले भी अपने इंटरव्यूज़ में बता चुके हैं कि उन्हें ‘फिर हेरा फेरी’ (2006) का ट्रीटमेंट पसंद नहीं आया था। उन्होंने कहा था कि फिल्म में मूल ‘हेरा फेरी’ की ज़मीन से जुड़ी कॉमेडी की जगह ओवर-द-टॉप और बेतुके सीक्वेंस ने ले ली थी।
इसीलिए, जब ‘हेरा फेरी 3’ की चर्चा शुरू हुई, तो उन्होंने स्पष्ट मांग रखी कि उन्हें स्क्रिप्ट पहले दी जाए, और किरदार की गहराई समझाई जाए। लेकिन जब उन्हें ये चीजें नहीं मिलीं, तो उन्होंने फिल्म से बाहर होना ही बेहतर समझा।
इंडस्ट्री का रिएक्शन: अधूरी तिकड़ी
फिल्म के तीसरे भाग से परेश रावल के बाहर होने की खबर पर सुनील शेट्टी (जो श्याम की भूमिका निभाते हैं) ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि यह तिकड़ी (अक्षय, परेश, सुनील) ही फिल्म की जान थी। इसके बिना ‘हेरा फेरी’ अधूरी महसूस होगी।
निर्देशक प्रियदर्शन ने भी कहा कि इन तीनों की केमिस्ट्री को दोहराना नामुमकिन है। यही वो भावनात्मक जुड़ाव है जिसने ‘हेरा फेरी’ को सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक कल्ट क्लासिक बना दिया।
फ्रेंचाइज़ी का भविष्य: अधर में लटकती हँसी
अब जब परेश रावल इस प्रोजेक्ट से औपचारिक रूप से अलग हो चुके हैं और उनके तथा प्रोडक्शन कंपनी के बीच कानूनी लड़ाई छिड़ चुकी है, तो सवाल उठता है — क्या ‘हेरा फेरी 3’ बनेगी भी? अगर बनेगी, तो क्या वह दर्शकों के दिलों में वही जगह बना पाएगी जो पहले दो फिल्मों ने बनाई थी? क्योंकि ‘बाबूराव’ के बिना ‘हेरा फेरी’ वैसी नहीं होगी जैसी लोग दशकों से जानते हैं।
‘हेरा फेरी 3’ का विवाद सिर्फ एक फिल्म की स्क्रिप्ट या कास्टिंग का मुद्दा नहीं है। यह उस भरोसे, पेशेवर नैतिकता और क्रिएटिव कंट्रोल की लड़ाई है जो आज की फिल्म इंडस्ट्री को जकड़े हुए हैं।
परेश रावल का बाहर होना सिर्फ एक अभिनेता का निर्णय नहीं — यह एक चेतावनी है कि सुपरहिट ब्रांड्स को सिर्फ नाम से नहीं, नीयत और स्पष्टता से चलाया जाता है।