नई दिल्ली/इम्फाल, 13 फरवरी 2025: एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में, भारत सरकार ने मणिपुर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। यह फैसला मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद लिया गया है। मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के कारण राज्य में गंभीर संकट बना हुआ था, जिसमें अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों नागरिक विस्थापित हो चुके हैं।
संकट की पृष्ठभूमि
मणिपुर लंबे समय से मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी जनजाति के बीच हिंसक संघर्ष का गवाह बना हुआ है। इस तनाव की शुरुआत तब हुई जब न्यायालय ने सुझाव दिया कि कुकी समुदाय को मिलने वाले आर्थिक लाभ और नौकरी में आरक्षण को मैतेई समुदाय तक बढ़ाया जाए। इस प्रस्ताव ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया, जिससे राज्य में हिंसा और अस्थिरता फैल गई।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा
9 फरवरी 2025 को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। विपक्षी दलों और सहयोगी पार्टियों के लगातार दबाव के चलते उन्होंने यह कदम उठाया। उनका इस्तीफा उस समय आया जब कांग्रेस पार्टी राज्य विधानसभा में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी।
केंद्र सरकार ने लागू किया राष्ट्रपति शासन
मुख्यमंत्री के इस्तीफे और राजनीतिक अनिश्चितता के चलते, केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला लिया। इस फैसले के तहत राज्य की विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है और राज्य की बागडोर अब राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार के हाथों में होगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य सरकार संवैधानिक रूप से कार्य करने में असमर्थ है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और भविष्य के संकेत
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कांग्रेस पार्टी, जो पिछले 20 महीनों से इस फैसले की मांग कर रही थी, ने केंद्र के कदम को स्वीकार किया लेकिन इस देरी के कारण राज्य के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को हुए नुकसान पर नाराजगी जताई।
दूसरी ओर, कुकी समुदाय ने राष्ट्रपति शासन की मांग पहले से ही कर रखी थी, इसलिए उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार के तहत प्रशासन अधिक निष्पक्ष और प्रभावी होगा।
मणिपुर के लिए आगे की राह
अब जब राज्य सीधे केंद्र सरकार के अधीन आ गया है, तो प्राथमिकता शांति बहाल करने और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने की होगी। विस्थापित नागरिकों के पुनर्वास और मानवीय सहायता के प्रयासों को भी गति दी जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीने मणिपुर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि केंद्र सरकार जातीय तनाव को कम करने और एक स्थिर प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने के प्रयास तेज करेगी।
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