Israel-Iran युद्ध का असर भारतीय कंपनियों पर: CRISIL रिपोर्ट से जानें पूरी सच्चाई

India Briefs Team
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Israel-Iran युद्ध का असर भारतीय कंपनियों पर: CRISIL रिपोर्ट से जानें पूरी सच्चाई

CRISIL Ratings की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि Israel-Iran युद्ध का भारतीय कंपनियों पर फिलहाल कोई व्यापक प्रभाव नहीं देखा गया है। भारत का इन दोनों देशों के साथ व्यापार बहुत सीमित है—यह कुल आयात-निर्यात (total trade) का महज 1% से भी कम है। हालांकि, अगर यह तनाव बढ़ता है, तो कुछ विशेष क्षेत्रों जैसे बासमती चावल (Basmati Rice), हीरे (Diamonds), उर्वरक (Fertilizers) और बिजली उपकरण (Electrical Equipment) पर असर पड़ सकता है।

कच्चे तेल की कीमतों पर बना रहेगा दबाव

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भले ही Israel-Iran युद्ध का सीधा व्यापारिक प्रभाव कम हो, लेकिन अगर पश्चिम एशिया (West Asia) में तनाव गहराया, तो इससे ऊर्जा आपूर्ति शृंखला (Energy Supply Chain) बाधित हो सकती है। इससे क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतें बढ़ सकती हैं।

ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमतें हाल ही में बढ़कर 73–76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जबकि अप्रैल-मई 2025 के लिए औसतन 65 डॉलर प्रति बैरल का अनुमान था। अगर यह कीमत लंबे समय तक बनी रहती है, तो भारतीय कंपनियों का मार्जिन प्रभावित हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इनपुट लागत पहले से ही ऊंची है।

भारत का Israel और Iran से व्यापार: कौन से क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं?

बासमती चावल (Basmati Rice)

2024–25 में भारत के बासमती चावल के कुल निर्यात में Israel और Iran की हिस्सेदारी 14% रही। चूंकि यह प्रमुख खाद्यान्न (staple grain) है, इसलिए मांग पर प्रभाव सीमित रह सकता है। लेकिन लंबे समय तक जारी संकट भुगतान में देरी का कारण बन सकता है, जिससे वर्किंग कैपिटल प्रभावित होगी।

हीरा और पॉलिशिंग (Diamonds & Polishing)

Israel हीरा व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है। 2024–25 में भारत ने कुल हीरा निर्यात का 4% इस देश को भेजा। हालांकि, भारत के पास बेल्जियम (Belgium) और यूएई (UAE) जैसे विकल्प मौजूद हैं। ये देश अमेरिका और यूरोप के अंतिम खरीदारों से जुड़े हैं, जिससे इस क्षेत्र में अस्थिरता का सामना बेहतर ढंग से किया जा सकता है।

उर्वरक (Fertilizers)

Israel म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) का बड़ा उत्पादक है, जो 2024–25 में भारत के शीर्ष आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा। हालांकि, MOP की घरेलू उर्वरक खपत में हिस्सेदारी 10% से कम है। भारत की वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चित करने की क्षमता इस क्षेत्र पर संकट के असर को सीमित कर सकती है।


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क्या सच में चिंताजनक है Israel-Iran युद्ध?

CRISIL की रिपोर्ट बताती है कि फिलहाल Israel-Iran युद्ध का भारत की कंपनियों पर सीधा प्रभाव बेहद सीमित है। लेकिन स्थिति बिगड़ने पर क्रूड ऑयल की कीमतें और वित्तीय अस्थिरता कुछ क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। इसलिए निवेशकों और नीति निर्माताओं को ऊर्जा क्षेत्र पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।


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