“हनी सिंह का हनी सिंह का नया गाना: भोजपुरी की गरिमा या गिरावट?

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मशहूर रैपर हनी सिंह के नए गाने “Maniac” में भोजपुरी का इस्तेमाल विवादों में आ गया है। गाने के बोल अश्लीलता और जबरदस्ती को दर्शाने के आरोप झेल रहे हैं। भोजपुरी संगीत पहले भी ऐसे गानों से गुज़रा है, लेकिन हनी सिंह जैसे बड़े कलाकार द्वारा इसे अपनाना चर्चा का विषय बन गया है।

हनी सिंह ने अपने हालिया गीत में एक अंतरा भोजपुरी में डाला है (ANI)

हनी सिंह और भोजपुरी का नया ‘फ्यूजन’


मशहूर रैपर हनी सिंह ने अपने इस गाने में भोजपुरी को शामिल किया, लेकिन जिस तरह से उन्होंने भोजपुरी के बोलों को प्रस्तुत किया, उसने विवाद खड़ा कर दिया। गाने के एक अंतरे में जो शब्द इस्तेमाल किए गए, वे जबरदस्ती और लगभग बलात्कार जैसी स्थिति का संकेत देते हैं। इसे गाने वाली सिंगर रागिनी विश्वकर्मा सोशल मीडिया पर लोकप्रिय रही हैं, लेकिन इस गाने में उनके द्वारा गाए गए बोलों ने भोजपुरी भाषा की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

हनी सिंह के वीडियो में भोजपुरी अंतरा रागिनी विश्वकर्मा ने गाया है (Facebook/Ragini Vishwakarma)

भोजपुरी की पहली फिल्म और बदलता संगीत परिदृश्य


22 फरवरी 1963 को भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ रिलीज हुई थी। यह दिन भोजपुरी भाषा और सिनेमा के लिए ऐतिहासिक था, जिसने क्षेत्रीय सिनेमा को एक नई पहचान दी। गीतकार शैलेंद्र और संगीतकार चित्रगुप्त की जोड़ी ने इस फिल्म के जरिए भोजपुरी गीत-संगीत को नई दिशा दी। लेकिन आज, 22 फरवरी 2025 को, भोजपुरी प्रेमी जश्न के साथ-साथ एक और बहस में उलझे हुए थे—हनी सिंह के नए गाने ‘मैनिएक’ को लेकर।

भोजपुरी में अश्लीलता कोई नई बात नहीं?


यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि पिछले कुछ दशकों में भोजपुरी गीतों का एक बड़ा हिस्सा स्त्री के शरीर के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। मंचीय प्रस्तुतियों से लेकर रिकॉर्डेड गानों तक, कई भोजपुरी कलाकार अश्लीलता को बेचने में कोई झिझक महसूस नहीं करते। पहले यह ट्रेंड सिर्फ स्थानीय स्तर पर था, लेकिन अब हनी सिंह जैसे बड़े नाम भी इसे प्रमोट कर रहे हैं।

बड़े मंच पर भोजपुरी का गलत प्रतिनिधित्व?


हनी सिंह ने भोजपुरी को अपने गाने में जगह दी, लेकिन क्या यह भोजपुरी की असली पहचान थी? इस भाषा के समृद्ध इतिहास को देखें, तो यह स्पष्ट होता है कि भोजपुरी सिर्फ द्विअर्थी और अश्लील गीतों तक सीमित नहीं रही है। ‘नदिया के पार’ से लेकर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ तक, भोजपुरी में ऐसे कई गीत हैं, जिन्होंने न केवल गुणवत्ता में बल्कि लोकप्रियता में भी अपनी जगह बनाई।

भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत नहीं!


यह दावा किया जा रहा है कि हनी सिंह ने भोजपुरी को रैप और पॉप कल्चर से जोड़कर एक नई ऊंचाई दी है। लेकिन सच यह है कि भोजपुरी पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय रही है। त्रिनिदाद-टोबैगो के सुंदर पोपो के गाए ‘फुलौरी बिना चटनी कइसे बनी’ ने 70-80 के दशक में दुनिया भर में लोकप्रियता पाई थी। गिरमिटिया संस्कृति के माध्यम से भोजपुरी गीत दशकों से विदेशों में गाए जा रहे हैं।

क्या यह एक नया ट्रेंड है?


हनी सिंह पहले कलाकार नहीं हैं जिन्होंने भोजपुरी को इस रूप में प्रस्तुत किया। पंजाबी रैपर बादशाह भी पहले ऐसा कर चुके हैं। प्रियंका चोपड़ा के प्रोडक्शन में बनी फिल्म ‘बम बम बोल रहा है काशी’ में भी ऐसे गीत देखने को मिले थे।

भोजपुरी के नामचीन कलाकारों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में


नितिन चंद्रा जैसे भोजपुरी फिल्म निर्देशक मानते हैं कि असली समस्या सिर्फ हनी सिंह का यह प्रयोग नहीं, बल्कि भोजपुरी के प्रभावशाली और प्रतिष्ठित लोगों की चुप्पी भी है। भोजपुरी क्षेत्र के बड़े कलाकारों ने अपनी भाषा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी नहीं ली, जिसके कारण बाहरी कलाकारों को इसका मनचाहा उपयोग करने की छूट मिल गई।

भोजपुरी सिनेमा का सुनहरा अतीत और आज की चुनौती


एक दौर था जब भोजपुरी के लिए लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायक गा रहे थे। पंडित रविशंकर जैसे संगीतकार भोजपुरी के लिए संगीत रच रहे थे। लेकिन आज भोजपुरी सिनेमा और संगीत को जिस स्तर पर परोसा जा रहा है, उसने इसकी गरिमा को गिरा दिया है।

भोजपुरी के लिए आगे का रास्ता


भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए केवल हनी सिंह जैसे कलाकारों को दोष देना पर्याप्त नहीं है। इसकी जिम्मेदारी उन कलाकारों, फिल्मकारों और संगीतकारों की भी बनती है, जो इस भाषा के मूलभूत सौंदर्य को भूल चुके हैं। अगर सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो भोजपुरी फिर से अपनी स्वर्णिम पहचान हासिल कर सकती है—लेकिन इसके लिए अश्लीलता की जगह गुणवत्ता को तवज्जो देनी होगी।

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