हरियाणा के सिरसा स्थित CDLU को मिला नया Vice Chancellor

India Briefs Team
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क्यों अहम है CDLU सिरसा के नये Vice Chancellor की नियुक्ति

सिरसा (हरियाणा): चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (CDLU) सिरसा के Vice Chancellor पद से प्रोफेसर नारसी राम बिश्नोई को महज चार महीने के भीतर हटाए जाने का फैसला एक बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने प्रो. बिश्नोई को हटाकर भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार को नया Vice Chancellor नियुक्त किया है।

राज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, “डॉ. विजय कुमार, भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर, को CDLU सिरसा का Vice Chancellor नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल तीन वर्षों तक या 68 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो) मान्य होगा। नियुक्ति की शर्तें राज्य सरकार की सिफारिश पर निर्धारित की जाएंगी।”

यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब विश्वविद्यालय में विभिन्न भवनों के नामकरण को लेकर भारी राजनीतिक बवाल मचा हुआ था, जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने मुखर विरोध दर्ज कराया था।

डॉ. विजय के पास शिक्षण का 28 वर्षों का अनुभव

बता दें कि प्रोफेसर विजय कुमार मोहाली के रहने वाले हैं। प्रोफेसर विजय कुमार ने एनआईटी, कुरुक्षेत्र से भौतिकी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से एमएससी (भौतिकी) एवं पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक (इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। उनका शोध क्षेत्र ठोस अवस्था उपकरण (Solid State Devices), सोलर सेल एवं नैनो टेक्नोलॉजी है। डॉ. विजय के पास शिक्षण का 28 वर्षों का अनुभव है। 11 वर्षों से अधिक समय से वे प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। वे श्री एलएन हिंदू कॉलेज, रोहतक में प्राचार्य तथा आईकेजी पीटीयू, मोहाली में रजिस्ट्रार के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 105 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं व सम्मेलनों में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. विजय कुमार को “बेस्ट प्लानर ऑफ द ईयर” (2005), “युवा रेड क्रॉस उत्कृष्टता पुरस्कार” (2018-19), “रक्तदाता सेवा सम्मान” (2019) और कोविड महामारी के दौरान सेवाओं के लिए जिला प्रशासन द्वारा “प्रशंसा पत्र” (2020) से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रोफेसर विजय कुमार Vice Chancellor
Vice Chancellor प्रोफेसर विजय कुमार

नया Vice Chancellor: उम्मीदें और चुनौतियाँ

अब नए Vice Chancellor के रूप में डॉ. विजय कुमार की नियुक्ति हुई है, जिनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे विश्वविद्यालय के अकादमिक और प्रशासनिक माहौल को स्थिरता प्रदान करेंगे। डॉ. कुमार एक वरिष्ठ भौतिक विज्ञान प्रोफेसर हैं और उनके अकादमिक रिकॉर्ड को अच्छा माना जाता है।

विश्वविद्यालय में हो रहे विवादों को शांत करना और संस्थान की साख को बहाल करना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। साथ ही, यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि वे नामकरण विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं — क्या वे पूर्व निर्णयों को पलटेंगे या यथावत रखेंगे।

CDLU सिरसा में Vice Chancellor की अचानक बदली से साफ हो गया है कि नामकरण जैसे प्रतीत होने वाले ‘सामान्य निर्णय’ भी जब राजनीतिक भावना से टकराते हैं, तो वे बड़े विवादों को जन्म दे सकते हैं। नारसी राम बिश्नोई की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया इस बात का प्रमाण है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में भी राजनीतिक संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी हो गया है।

आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नए Vice Chancellor विवादों को सुलझा पाते हैं या फिर विश्वविद्यालय एक बार फिर राजनीतिक खींचतान की भेंट चढ़ता है। फिलहाल तो एक बात तय है — हरियाणा की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर आमने-सामने खड़ी नजर आ रही है।


प्रो. नारसी राम बिश्नोई चार महीने पहले ही बने थे Vice Chancellor

प्रो. नारसी राम बिश्नोई ने 25 जनवरी को CDLU के Vice Chancellor पद की कमान संभाली थी। इससे पहले वे हिसार स्थित गुरु जंभेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GJUST) में Vice Chancellor रह चुके हैं। उनकी नियुक्ति पर शुरुआत में कोई विवाद नहीं था, लेकिन विश्वविद्यालय में विभिन्न इमारतों के नामकरण को लेकर उनकी कार्यशैली राजनीतिक दलों को खटकने लगी।


नामकरण बना विवाद की जड़

Vice Chancellor बनने के बाद बिश्नोई ने एक के बाद एक विश्वविद्यालय की कई इमारतों के नाम बदल दिए। 19 मई को विश्वविद्यालय के बहुउद्देश्यीय हॉल का नाम नमधारी सुधारक गुरु राम सिंह के नाम पर रख दिया गया। इसके दो दिन बाद आईटी डाटा व कंप्यूटर सेंटर का नाम पर्यावरण शहीद माता अमृता देवी बिश्नोई के नाम पर कर दिया गया।

23 मई को छात्र गतिविधि केंद्र का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर रखा गया। इसी कड़ी में 26 मई को विश्वविद्यालय के सूचना केंद्र और मार्गदर्शन ब्यूरो का नाम विहिप (विश्व हिंदू परिषद) नेता अशोक सिंघल के नाम पर रखे जाने की घोषणा की गई। इन सभी नामकरणों ने विश्वविद्यालय परिसर में एक नया विवाद जन्म दिया।


जेजेपी का तीखा विरोध

नामकरण को लेकर सबसे तीव्र प्रतिक्रिया जननायक जनता पार्टी (JJP) की ओर से आई। पार्टी के प्रदेश महासचिव और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय सिंह ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिश्नोई पर “सीमाओं से परे जाकर निर्णय लेने” का आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि छात्र गतिविधि केंद्र का नाम पहले से तय था और उसे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नाम पर रखा जाना था। दुष्यंत चौटाला स्वयं इसकी घोषणा पहले कर चुके थे। दिग्विजय ने कहा, “हमें वीर सावरकर जी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन बादल साहब का नाम पहले से प्रस्तावित था और उसका सम्मान होना चाहिए था।”

उन्होंने आगे कहा, “प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए जो योगदान दिया है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वीर सावरकर का सम्मान करते हुए किसी अन्य इमारत का नाम उनके नाम पर रखा जा सकता था।”


मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

जेजेपी ने इस विवाद पर राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से हस्तक्षेप की मांग की और चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

दिग्विजय सिंह ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अगर सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया और प्रकाश सिंह बादल का नाम पुनः बहाल नहीं किया गया तो पार्टी प्रदेशभर में आंदोलन करेगी।”


नामकरण और राजनीति: गहराते सवाल

नामकरण विवाद न केवल एक विश्वविद्यालय तक सीमित रहा बल्कि इसकी गूंज प्रदेश की राजनीति में भी सुनाई दी। विपक्षी दलों ने इसे ‘राजनीतिक एजेंडे को शिक्षा में घुसाने’ की कोशिश बताया, वहीं सत्ताधारी दल के कुछ सदस्यों ने भी इस पर चुप्पी साधे रखी, जिससे कयासों को बल मिला।

विपक्ष के कई नेताओं ने आरोप लगाया कि बिश्नोई ने हिंदुत्व से जुड़े व्यक्तित्वों के नाम पर इमारतों का नामकरण करके शिक्षा को ‘राजनीतिक रंग’ देने की कोशिश की। वहीं कुछ अन्य शिक्षाविदों का मानना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को नामकरण जैसे विषयों पर निर्णय लेने से पहले व्यापक विचार-विमर्श और सहमति बनानी चाहिए थी।


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