ब्लैक बॉक्स: अहमदाबाद विमान हादसे ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। एयर इंडिया का एक इंटरनेशनल फ्लाइट टेकऑफ के कुछ ही समय बाद एयरपोर्ट की सीमा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में कुल 242 यात्री सवार थे। राहत-बचाव कार्य जारी है, और सबसे अहम चीज़ जिसकी तलाश हो रही है — वो है ब्लैक बॉक्स (Black Box), जो इस हादसे के असल कारणों से पर्दा हटा सकता है।
क्यों कहा जाता है इसे ब्लैक बॉक्स, जबकि इसका रंग नारंगी होता है ?
हालांकि नाम ब्लैक बॉक्स है, लेकिन असल में यह चमकीले नारंगी रंग का होता है। इसका उद्देश्य है — दुर्घटना के बाद मलबे में आसानी से दिखाई देना। इसकी बनावट भी इतनी मजबूत होती है कि यह उच्च तापमान, गहरे पानी और भारी दबाव तक को झेल सकता है।
ब्लैक बॉक्स: हर प्लेन क्रैश के पीछे की सच्चाई का गवाह
ब्लैक बॉक्स, जिसे तकनीकी रूप से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder – FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder – CVR) कहा जाता है, किसी भी विमान की डिजिटल मेमोरी होता है। टेकऑफ से लेकर लैंडिंग तक, विमान के हर मूवमेंट, हर साउंड और हर कम्युनिकेशन को यह रिकॉर्ड करता है।
ब्लैक बॉक्स में क्या-क्या रिकॉर्ड होता है?
ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है:
FDR (Flight Data Recorder):
- इंजन का परफॉर्मेंस
- विमान की गति (Speed)
- ऊंचाई (Altitude)
- दिशा (Direction)
- ईंधन स्तर (Fuel level)
CVR (Cockpit Voice Recorder):
- पायलट और को-पायलट के बीच बातचीत
- इमरजेंसी अलार्म्स और चेतावनियां
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ संवाद
इन दोनों रिकॉर्डर का डेटा विमान दुर्घटना की वजहों को समझने में निर्णायक होता है।
हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स की भूमिका
जब विमान क्रैश होता है, तो उसकी बाहरी बनावट नष्ट हो सकती है, लेकिन ब्लैक बॉक्स को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह 10,000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान, समुद्र की गहराई और जबरदस्त टक्कर तक झेल सकता है।
- यह लगभग 1 महीने तक सक्रिय रह सकता है।
- इसमें लगे अंडरवॉटर लोकेटर बीकन की मदद से यह पानी में भी खोजा जा सकता है।
- बिना बिजली के भी यह डेटा सुरक्षित रखता है।
अहमदाबाद हादसे में ब्लैक बॉक्स क्यों है सबसे अहम?
इस क्रैश के बाद राहत-बचाव दल की प्राथमिकता है — ब्लैक बॉक्स को जल्द से जल्द ढूंढ निकालना। इसके डेटा की मदद से यह जाना जा सकता है कि:
- क्या तकनीकी खराबी थी?
- क्या मौसम एक कारण था?
- पायलट की ओर से कोई चूक तो नहीं हुई?
ब्लैक बॉक्स ही वो ‘डिजिटल गवाह’ होता है जो हादसे की सच्चाई को बयान करता है।
ब्लैक बॉक्स कैसे बनाया जाता है?
ब्लैक बॉक्स को खासतौर पर बनाया जाता है:
- टाइटेनियम या स्टील अलॉय से
- कई शॉकप्रूफ और फायरप्रूफ परतों से
- डेटा स्टोरेज को अत्यधिक सुरक्षित और स्थिर बनाए रखने के लिए
हर विमान हादसे के बाद लोग यही सवाल करते हैं — आखिर क्या हुआ? और इस सवाल का जवाब देता है — ब्लैक बॉक्स। अहमदाबाद विमान हादसे में भी जांच एजेंसियां इसी डिवाइस की तलाश में हैं ताकि पूरे देश को इस दुखद घटना की असली वजह पता चल सके।
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