AI के तेजी से बढ़ते प्रभाव से ड्राइवर, कोडर, डेटा एंट्री जैसे 8 प्रमुख जॉब्स अगले 5 साल में खत्म हो सकते हैं। जानिए कौन-कौन सी नौकरियां खतरे में हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का बढ़ता प्रभाव: नई चुनौती या अवसर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI अब सिर्फ टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह तेजी से दुनिया की कार्य संस्कृति को बदल रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि आने वाले 5 वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक ड्राइवर्स और कोडर्स समेत 8 प्रमुख नौकरियों को खत्म कर सकती है। ये बदलाव न केवल वर्कप्लेस के लिए नई दिशा तय करेंगे, बल्कि लाखों लोगों की जीविका पर भी असर डालेंगे।
ड्राइवर्स की नौकरी सबसे पहले निशाने पर
रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे बड़ा असर उन नौकरियों पर होगा जो दोहराए जाने वाले कार्यों पर आधारित हैं। इसमें सबसे पहला नाम आता है ड्राइवर्स का। सेल्फ-ड्राइविंग कारें, ऑटोमैटिक ट्रक, और डिलीवरी ड्रोन्स अब सिर्फ कल्पना नहीं रहे, बल्कि कई देशों में इनकी टेस्टिंग और आंशिक रूप से उपयोग शुरू हो चुका है। भारत जैसे देश में जहां लाखों लोग ट्रक, टैक्सी और डिलीवरी वाहनों के जरिए रोज़गार कमाते हैं, उनके लिए यह खबर चिंता का विषय है।
रिक्रूटमेंट इंडस्ट्री पर भी गहराता संकट
AI का असर ह्यूमन रिसोर्स सेक्टर पर भी पड़ रहा है। रिक्रूटर्स का कार्य जैसे रेज़्यूमे स्कैन करना, इंटरव्यू शेड्यूल करना, और सही उम्मीदवार का चयन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के माध्यम से स्वचालित हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर जैसे ATS (Applicant Tracking Systems) हजारों रेज़्यूमे को चंद सेकंड्स में स्कैन कर लेते हैं और सबसे उपयुक्त कैंडिडेट्स को छांट देते हैं। इससे मैनुअल इंटरवेंशन की जरूरत घट रही है।
कोडर्स और सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की नौकरी भी नहीं सुरक्षित
पहले माना जाता था कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी नौकरियां सुरक्षित हैं, लेकिन AI ने इस धारणा को भी तोड़ दिया है। OpenAI के ChatGPT, GitHub Copilot और अन्य जनरेटिव AI टूल्स अब कोडिंग, डिबगिंग और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में इंसानों की मदद से कहीं ज्यादा तेजी से काम कर रहे हैं। ये टूल्स जटिल लॉजिक, एरर फिक्सिंग और यहां तक कि पूरे सॉफ़्टवेयर सिस्टम तैयार करने में सक्षम हो गए हैं। ऐसे में जूनियर लेवल और मिड-लेवल कोडर्स की नौकरी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
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डेटा एंट्री ऑपरेटर्स की जगह लेता ऑटोमेशन
डेटा एंट्री का काम लंबे समय से ऑटोमेशन की दिशा में अग्रसर था, लेकिन अब AI ने इसे पूरी तरह बदल दिया है। स्मार्ट OCR (Optical Character Recognition) और NLP (Natural Language Processing) तकनीक ने मैन्युअल डेटा एंट्री की जरूरत लगभग खत्म कर दी है। बैंकिंग, हेल्थकेयर और बीमा क्षेत्र जैसे डोमेन में डेटा प्रोसेसिंग अब AI-बेस्ड सिस्टम के ज़रिए अधिक कुशलता से की जा रही है।
कस्टमर सर्विस एजेंट्स की जगह AI चैटबॉट्स
AI चैटबॉट्स जैसे Dialogflow, IBM Watson और GPT-आधारित चैटबॉट्स अब बड़ी संख्या में कस्टमर सर्विस की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कॉल सेंटर्स, हेल्पडेस्क और कस्टमर केयर सेक्टर में हजारों कर्मचारियों की जरूरत अब घट रही है। AI टूल्स न सिर्फ 24×7 उपलब्ध रहते हैं, बल्कि ये बहुभाषी सहायता और त्वरित समाधान भी प्रदान करते हैं, जिससे कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर हो रहा है लेकिन मानव संसाधन की मांग घट रही है।
फैक्ट्री वर्कर्स की जगह रोबोट्स
मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में पहले से ही रोबोट्स का इस्तेमाल हो रहा है। अब AI-इंटीग्रेटेड रोबोटिक्स ने फैक्ट्री वर्कर्स की भूमिका को काफी हद तक कम कर दिया है। वेयरहाउस से लेकर असेंबली लाइन तक, AI मशीनें कम समय में ज्यादा उत्पादकता देती हैं। इससे लॉजिस्टिक्स, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में मजदूरों की नौकरी पर संकट बढ़ता जा रहा है।
बेसिक अकाउंटिंग और बुककीपिंग की नौकरियां भी खतरे में
AI-सक्षम फाइनेंशियल टूल्स जैसे QuickBooks, Zoho Books और Xero अब छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए बहीखाता (बुककीपिंग) और टैक्सेशन का काम संभाल रहे हैं। यह बदलाव अकाउंटिंग क्लर्क्स और बेसिक लेवल के फाइनेंशियल असिस्टेंट्स की भूमिका को धीरे-धीरे कम कर रहा है।
न्यूज़ रिपोर्टर्स और कंटेंट राइटर्स
AI अब पत्रकारिता और लेखन क्षेत्र को भी प्रभावित कर रहा है। न्यूज़ जनरेटिंग एल्गोरिदम, ऑटो-सक्रिप्टिंग और हेडलाइन जेनरेटिंग टूल्स जैसे Jasper और Writesonic अब न्यूज़ आर्टिकल्स, ब्लॉग्स और रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं। इससे मीडिया इंडस्ट्री में एंट्री-लेवल राइटर्स की भूमिका प्रभावित हो रही है।
क्या यह सिर्फ खतरा है, या एक नया अवसर भी?
जहां एक ओर AI से पारंपरिक नौकरियों पर संकट बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे कई नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। AI टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट, टेस्टिंग, मैनेजमेंट और ट्रेनिंग के लिए नई स्किल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। अब कंपनियों को ऐसे कर्मचारियों की जरूरत है जो AI और डेटा साइंस की समझ रखते हों।
समाधान क्या है? अपस्किलिंग और रीस्किलिंग
AI के इस दौर में सबसे जरूरी है वर्कफोर्स का अपस्किलिंग और रीस्किलिंग। सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करने चाहिए जो वर्तमान कर्मचारियों को AI के अनुकूल स्किल्स प्रदान करें।
- कोडर्स को AI मॉडल्स की ट्रेनिंग, NLP, और मशीन लर्निंग सीखनी चाहिए।
- ड्राइवर्स को तकनीकी में बदलाव के साथ नए विकल्प जैसे इलेक्ट्रिक वाहन टेक्नोलॉजी, ट्रैफिक एनालिसिस और फ्लीट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए।
- डेटा एंट्री ऑपरेटर्स को डेटा एनालिसिस, डेटा विज़ुअलाइजेशन जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहिए।
बदलाव से डरें नहीं, बल्कि बदलाव के लिए तैयार हों
AI एक चुनौती जरूर है, लेकिन इससे डरने की बजाय हमें इसके साथ चलना सीखना होगा। टेक्नोलॉजी का यह युग केवल उन्हीं के लिए फायदेमंद होगा जो सीखते रहेंगे, खुद को अपडेट करते रहेंगे। सरकार, शैक्षणिक संस्थान और इंडस्ट्री मिलकर अगर आज से तैयारी करें, तो AI से खतरे को अवसर में बदला जा सकता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल नौकरियां खत्म नहीं कर रही, बल्कि नए युग की शुरुआत कर रही है। सवाल यह है कि क्या हम इसके लिए तैयार हैं?
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