गेंदा फूल विकास योजना: किसानों के लिए नकदी कमाने का सुनहरा मौका
गेंदा फूल विकास योजना के तहत किसानों को अब पारंपरिक खेती के साथ नकदी फसलों से भी अच्छी कमाई का अवसर मिल रहा है। गेंदे के फूलों की डिमांड पूरे साल बनी रहती है और अब इस खेती पर सरकार 70% तक की सब्सिडी भी दे रही है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
क्या है गेंदा फूल विकास योजना ?
गेंदा फूल विकास योजना बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture) के अंतर्गत चलाई जा रही एक लाभकारी योजना है। इसका उद्देश्य किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करना है।
इस योजना के तहत गेंदा (Marigold) की खेती करने वाले किसानों को 50% से 70% तक की सरकारी सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे उनकी लागत कम और मुनाफा अधिक होता है।
गेंदा फूल विकास योजना की प्रमुख विशेषताएं
- प्रति हेक्टेयर खेती पर 40,000 से 80,000 रुपये तक की सब्सिडी।
- उद्यानिकी क्लस्टर विकास योजना के तहत यदि 25 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्र में गेंदे की खेती की जाए, तो प्रति एकड़ 1 लाख रुपये तक की सहायता।
- योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो DBT पोर्टल पर पहले से पंजीकृत हैं या योजना में आवेदन के समय पंजीकरण कराते हैं।
गेंदा फूल विकास योजना में आवेदन की प्रक्रिया
- बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाएं।
- गेंदा फूल विकास योजना विकल्प पर क्लिक करें।
- मांगी गई जानकारी जैसे नाम, पता, खेत की जानकारी भरें।
- आवश्यक दस्तावेज (Aadhaar, बैंक खाता विवरण आदि) अपलोड करें।
- आवेदन जमा करने के बाद विभाग द्वारा सत्यापन के पश्चात सब्सिडी दी जाएगी।
गेंदे की खेती से जुड़ी खास बातें
कम लागत, अधिक लाभ
गेंदे के फूलों की खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है। मौसम के अनुसार इनकी कीमत ₹20 से ₹200 प्रति किलो तक होती है। खास मौकों पर जैसे शादी-विवाह, त्योहार (दिवाली, दशहरा, होली) और पूजा-पाठ में इनकी मांग बहुत अधिक होती है।
🔸 साथ में दूसरी फसलें भी
गेंदे को टमाटर, बैंगन, आलू जैसी फसलों के साथ उगाया जा सकता है, जिससे भूमि का अधिकतम उपयोग हो पाता है।
🔸 औषधीय गुण
गेंदे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक और फार्मास्यूटिकल दवाओं में भी किया जाता है।
🔸 सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत
वास्तु शास्त्र के अनुसार गेंदे के फूलों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है, इसलिए इनका उपयोग मंदिरों और घरों में विशेष रूप से होता है।
खेती से पहले ध्यान देने योग्य बातें
मिट्टी और जलवायु
- भुरभुरी और जल निकासी वाली दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है।
- पीएच मान: 6.5 से 7.5 के बीच।
- मौसम: ठंडी जलवायु अनुकूल, लेकिन इसे गर्मी, सर्दी और बरसात तीनों में उगाया जा सकता है।
बुवाई का समय
- जनवरी-फरवरी
- जून का मध्य
- सितंबर का महीना
देखभाल और सिंचाई
- झाड़ीदार विकास के लिए पौधे की शीर्ष वृद्धि को 2–3 सेमी तक तोड़ना जरूरी।
- मुरझाए फूलों को समय पर हटाना जरूरी ताकि नए फूल विकसित हों।
- सर्दी में 8–10 दिन और गर्मियों में 4–5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
कीट और रोग नियंत्रण
- बेहतर उत्पादन के लिए कीट व रोग नियंत्रण जरूरी है। जैविक कीटनाशकों का प्रयोग लाभदायक हो सकता है।
गेंदा फूल विकास योजना किसानों के लिए आय का एक नया और बेहतर जरिया बन सकती है। 70% तक की सब्सिडी और फूलों की लगातार बनी रहने वाली मांग इसे एक प्रॉफिटेबल विकल्प बनाती है। यदि आप बिहार के किसान हैं और अपने खेत की पैदावार और आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो यह योजना आपके लिए एक बड़ा अवसर है।