मध्य-पूर्व एक बार फिर युद्ध की दहलीज़ पर खड़ा है। शुक्रवार तड़के इसराइल ने ईरान पर बड़ा सैन्य हमला किया, जिसका मकसद साफ था—ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाना।
तेहरान समेत कई शहरों में तेज़ धमाकों की आवाज़ों से लोग नींद से जागे, वहीं इसराइल में भी पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया। इस कार्रवाई को “ऑपरेशन राइज़िंग लॉयन” नाम दिया गया है। इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इस हमले को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत’ बताया।
कहां-कहां हुए हमले?
स्थानीय समयानुसार सुबह 3:30 बजे तेहरान और उसके उत्तर-पूर्वी हिस्सों में तेज़ धमाके हुए। रिपोर्ट्स के मुताबिक रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया गया। कुछ ही घंटों बाद ईरान के सबसे महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों में से एक — नातांज यूरेनियम संवर्धन केंद्र — में भी विस्फोट की पुष्टि हुई। यह केंद्र राजधानी से लगभग 225 किलोमीटर दूर है।
क्या मारे गए हैं कमांडर और वैज्ञानिक?
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ने पुष्टि की है कि इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कोर (IRGC) के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी समेत पांच शीर्ष सैन्य अधिकारी इस हमले में मारे गए हैं। इसके अलावा, दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों की भी मृत्यु की खबर है।
ईरान की संसद और सैन्य तंत्र इसे सीधी जंग की शुरुआत मान रहे हैं। वरिष्ठ सैन्य प्रवक्ता अबुल फ़ज़ल शेकार्ची ने कहा, “इस हमले की इसराइल और अमेरिका को भारी कीमत चुकानी होगी।”
इसराइल की क्या मंशा है?
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि अगर ईरान को अभी नहीं रोका गया तो वह कुछ महीनों के भीतर परमाणु हथियार बना सकता है। “हम ईरान को वो क्षमता नहीं देने देंगे जिससे वह इसराइल के अस्तित्व को ख़तरे में डाले,” उन्होंने कहा।
इसराइली सेना के सूत्रों ने दावा किया कि ईरान के पास परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त संवर्धित यूरेनियम मौजूद था, और यह हमला इस खतरे को रोकने के लिए बेहद ज़रूरी था।
डोनल्ड ट्रंप का समर्थन, अमेरिका की दूरी
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस हमले को ‘एक्सीलेंट’ बताया और कहा कि “हमने ईरान को कई मौके दिए, लेकिन अब चोट देना जरूरी था।” उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ईरान अब ‘समझौते’ की स्थिति में आ चुका है।
हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस हमले में अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं थी। विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि अमेरिका की प्राथमिकता अपने बलों की सुरक्षा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और चिंताएं
ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और रूस जैसे देशों ने चिंता जताई है कि इस तरह के हमले क्षेत्रीय अस्थिरता को और भड़का सकते हैं। कूटनीतिक हलकों में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ईरान बदले में इसराइल या उसके सहयोगियों पर बड़ा हमला कर सकता है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम: क्यों है विवादास्पद?
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांति पूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) इससे सहमत नहीं है। हाल ही में IAEA ने पहली बार औपचारिक रूप से कहा है कि ईरान परमाणु अप्रसार समझौते का उल्लंघन कर रहा है।
IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने यूरेनियम को 60% शुद्धता तक संवर्धित किया है—जो हथियार बनाने के लिए आवश्यक ग्रेड के बेहद करीब है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईरान 9 परमाणु बम बनाने लायक संवर्धित यूरेनियम जमा कर चुका है।
अब आगे क्या?
इसराइल ने संकेत दिए हैं कि यह केवल एक शुरुआत है। वहीं ईरान बदले की चेतावनी दे चुका है। दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है, और यदि बातचीत या मध्यस्थता नहीं हुई, तो एक और क्षेत्रीय युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।