AC Temperature New Rule: अब घरों, ऑफिसों और गाड़ियों में एसी को 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर सेट करना संभव नहीं होगा। केंद्र सरकार ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक अहम कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में यह घोषणा की कि जल्द ही एक नया नियम लाया जा रहा है, जिसके तहत सभी प्रकार के एयर कंडीशनर (AC) को केवल 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के तापमान दायरे में ही सेट किया जा सकेगा।
क्या है नया नियम और क्यों जरूरी है?
गर्मी का मौसम आते ही देशभर में AC की खपत तेजी से बढ़ जाती है। अधिकतर लोग AC को 16-18 डिग्री तक सेट कर लेते हैं, जिससे अत्यधिक बिजली की खपत होती है। इससे एक ओर बिजली का बिल बढ़ता है तो दूसरी ओर पावर ग्रिड पर भी दबाव बढ़ता है। इसके चलते पर्यावरण पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
सरकार का यह नया कदम इसी समस्या से निपटने के लिए उठाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य है देशभर में AC के तापमान के इस्तेमाल को मानकीकृत करना ताकि बिजली की खपत में कमी लाई जा सके और पर्यावरण को बचाया जा सके। यह नियम न सिर्फ घरों में, बल्कि कार्यालयों, शॉपिंग मॉल्स, होटल्स, रेस्टोरेंट्स, दुकानों और वाहनों तक लागू होगा।
किन-किन जगहों पर होगा लागू?
- घर: अब आम लोग भी AC को मनचाहे 16 या 18 डिग्री पर सेट नहीं कर पाएंगे। केवल 20-28 डिग्री के बीच का तापमान ही सेट किया जा सकेगा।
- ऑफिस और दुकानें: व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी इस नियम का पालन करना होगा।
- मॉल्स और होटल्स: बड़ी इमारतों में ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा होती है, ऐसे में यह नियम काफी असरदार साबित हो सकता है।
- वाहन: कारों और अन्य वाहनों में लगे AC पर भी यह नियम लागू किया जाएगा, जिससे वाहनों में ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
बिजली की खपत पर पड़ेगा सीधा असर
भारत में AC का उपयोग साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। साल 2024 में भारत में कुल बिजली खपत का लगभग 10% हिस्सा केवल कूलिंग उपकरणों (AC, फ्रिज आदि) से जुड़ा था। अगर सभी लोग AC को 16 डिग्री पर चलाते हैं तो ऊर्जा की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है। इससे बिजली की कीमतें भी प्रभावित होती हैं।
यदि पूरे देश में AC को 20 डिग्री से कम पर चलाने से रोका जाता है, तो बिजली की खपत में सालाना हजारों मेगावॉट की बचत हो सकती है। साथ ही, यह पहल बिजली की दरों पर नियंत्रण रखने में भी मदद कर सकती है।
पर्यावरण को मिलेगा बड़ा लाभ
AC से होने वाला कार्बन उत्सर्जन भी एक बड़ी समस्या है। जब तापमान कम किया जाता है, तो कम्प्रेसर पर ज्यादा लोड पड़ता है और यह ज्यादा बिजली खपत करता है। इसके चलते अधिक CO₂ उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
यदि लोग AC को 24 डिग्री या उससे अधिक पर चलाएं, तो यह CO₂ उत्सर्जन को काफी हद तक कम कर सकता है। यही कारण है कि सरकार ने 20 से 28 डिग्री तापमान की सीमा तय करने की योजना बनाई है।
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क्या पहले भी हुए हैं ऐसे प्रयास?
ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ने वर्ष 2020 में सभी स्टार लेबल वाले AC के लिए डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री तय किया था। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं था। लोग चाहे तो तापमान घटा सकते थे। लेकिन अब सरकार इसे नियम के रूप में लागू करना चाहती है, जिससे इसकी पालना अनिवार्य होगी।
लोगों की प्रतिक्रिया और चुनौतियां
जहां कुछ लोग इस नियम को ऊर्जा संरक्षण की दिशा में अच्छा कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बता रहे हैं। उनका कहना है कि घर का तापमान तय करना व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद होनी चाहिए।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक हित को देखते हुए यह फैसला काफी आवश्यक है। ऊर्जा बचत के साथ-साथ स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि अत्यधिक ठंडा वातावरण शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है, विशेषकर जब बाहर का तापमान 40 डिग्री से अधिक हो।
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क्या कंपनियां इस नियम को तकनीकी रूप से लागू करेंगी?
जानकारों के अनुसार, सरकार इस नियम को लागू करने के लिए AC निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है ताकि AC की सेटिंग्स में सॉफ्टवेयर लेवल पर यह सीमाएं तय की जा सकें। जैसे ही यह नियम लागू होगा, आने वाले नए मॉडल्स में यह सीमा डिफॉल्ट रूप से प्रोग्राम की जाएगी।
क्या यह नियम वास्तव में कारगर होगा?
यह नियम न केवल बिजली की बचत करेगा बल्कि देशभर में ऊर्जा की खपत को नियंत्रित करने में भी मदद करेगा। इससे पर्यावरण को राहत मिलेगी और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सतत जीवनशैली की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस नियम को कितनी सख्ती से लागू किया जाता है और आम जनता इसमें कितना सहयोग करती है।
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