भारतीय शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई, जिसमें ऑटोमोबाइल सेक्टर की कमजोरी और विदेशी फंडों की निकासी मुख्य कारण रहे। शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने नुकसान के साथ कारोबार समाप्त किया। कमजोर अमेरिकी बाजार और शुल्क बढ़ाने की धमकियों ने भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया।

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट जारी
बीएसई सेंसेक्स 424.90 अंक या 0.56% की गिरावट के साथ 75,311.06 के स्तर पर बंद हुआ। दिन के कारोबार के दौरान यह 623.55 अंक या 0.82% गिरकर 75,112.41 तक पहुंच गया था। वहीं, एनएसई निफ्टी 117.25 अंक या 0.51% की गिरावट के साथ 22,795.90 पर बंद हुआ।
पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में कुल 685.8 अंक (0.90%) और निफ्टी में 163.6 अंक (0.71%) की गिरावट दर्ज की गई।
गिरावट के प्रमुख कारण
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने गुरुवार को भारतीय बाजारों से 3,311.55 करोड़ रुपये की निकासी की।
- कमजोर वैश्विक संकेत: अमेरिकी बाजारों में गिरावट और व्यापार शुल्क को लेकर बनी अनिश्चितता ने भारतीय निवेशकों की धारणा को कमजोर किया।
- मंहगे वैल्यूएशन और गिरता रुपया: महंगे वैल्यूएशन और रुपये की कमजोरी ने निवेशकों की चिंता को बढ़ा दिया।
- सख्त मौद्रिक नीति: फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) के हालिया मिनट्स में उच्च ब्याज दरों को बनाए रखने का संकेत दिया गया, जिससे उभरते बाजारों में तरलता पर असर पड़ा।
- सेक्टोरियल कमजोरी: बैंकिंग, आईटी, टेलीकॉम, ऑटो, रियल्टी और ऑयल एंड गैस सेक्टर में कमजोरी देखने को मिली।
सेंसेक्स और निफ्टी के टॉप लूज़र्स और गेनर्स
गिरावट वाले स्टॉक्स:
- महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 6% से अधिक की गिरावट दर्ज की।
- अदानी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स, सन फार्मा, पावर ग्रिड, जोमैटो, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और अल्ट्राटेक सीमेंट भी नुकसान में रहे।
बढ़त वाले स्टॉक्स:
- टाटा स्टील, लार्सन एंड टुब्रो, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी बैंक और एनटीपीसी में बढ़त दर्ज की गई।
विशेषज्ञों की राय
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च) प्रशांत टापसे ने कहा, “विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली, गिरता रुपया, महंगे वैल्यूएशन और अमेरिका की ओर से संभावित टैरिफ वृद्धि जैसे नकारात्मक कारक भारतीय बाजारों को कमजोर कर रहे हैं। स्थानीय बाजार एशियाई और यूरोपीय बाजारों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन कर रहे हैं, जो वैश्विक अनिश्चितता को दर्शाता है।”
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, “हालांकि बाजार में स्वस्थ करेक्शन देखा गया है, लेकिन कॉरपोरेट आय में धीमी रिकवरी और टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के कारण वैल्यूएशन स्तरों पर संदेह बना हुआ है। विदेशी निवेशक अभी भी ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ रणनीति पर चल रहे हैं, जिससे भारत अन्य एशियाई बाजारों से पिछड़ रहा है।”
वैश्विक बाजारों का असर
- एशियाई बाजार: सियोल, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजारों में मजबूती देखने को मिली।
- यूरोपीय बाजार: अधिकतर यूरोपीय बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे।
- अमेरिकी बाजार: गुरुवार को अमेरिकी बाजार नुकसान में बंद हुए।
कच्चे तेल और मुद्रा बाजार का हाल
- ब्रेंट क्रूड: वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.59% गिरकर 76.05 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
- रुपया: रुपये की कमजोरी से विदेशी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
नतीजा
भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। वैश्विक अस्थिरता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और महंगे वैल्यूएशन जैसे कारकों ने बाजार की दिशा पर असर डाला है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अवसर हो सकती है, लेकिन निकट भविष्य में बाजार अस्थिर बना रह सकता है। निवेशकों को सतर्क रहकर आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है।
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