लोकप्रिय यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया (BeerBiceps) कानूनी विवादों में फंस गए, लेकिन इस मामले ने एक और नाम को सुर्खियों में ला दिया—अभिनव चंद्रचूड़। सुप्रीम कोर्ट में रणवीर के बचाव पक्ष के वकील के रूप में अभिनव चंद्रचूड़ की एंट्री महज एक कानूनी दांव-पेच नहीं थी, बल्कि भारतीय न्यायपालिका में उनके प्रभावी पुन:प्रवेश का प्रतीक थी।

यह मामला उनके लिए इसलिए भी खास था क्योंकि यह उनके पिता, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachud) के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी सुप्रीम कोर्ट में वापसी का पहला मामला था। अपने पिता के मुख्य न्यायाधीश रहने के दौरान अभिनव ने नैतिकता के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं की थी। लेकिन अब, उन्होंने एक हाई-प्रोफाइल केस के जरिए वापसी की और कानूनी जगत में अपनी छवि को और अधिक सशक्त किया।
अभिनव चंद्रचूड़ कौन हैं?
अभिनव चंद्रचूड़ भारतीय कानूनी जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे न केवल एक सफल वकील हैं, बल्कि एक प्रसिद्ध कानूनी लेखक भी हैं, जिन्होंने संविधान, न्यायिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं।
उनका परिवार भारतीय न्यायपालिका में गहरी जड़ें रखता है—उनके पिता डी. वाई. चंद्रचूड़ और उनके दादा वाई. वी. चंद्रचूड़ दोनों भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। खास बात यह है कि उनके दादा, वाई. वी. चंद्रचूड़, भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश (1978-1985) थे।
उनके भाई, चिंतन चंद्रचूड़ (Chintan Chandrachud), भी एक प्रतिष्ठित कानूनी विद्वान हैं और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) से पीएच.डी. प्राप्त कर चुके हैं। चिंतन ब्रिटेन में प्रैक्टिस करते हैं और भारतीय संविधान पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिख चुके हैं।
शिक्षा और कानूनी प्रशिक्षण
अभिनव चंद्रचूड़ ने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई (Government Law College, Mumbai) से 2008 में कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए, जहां उन्होंने दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों से अपनी डिग्रियां प्राप्त कीं।
- हार्वर्ड लॉ स्कूल (Harvard Law School) से LL.M. की डिग्री, जहां वे डाना स्कॉलर (Dana Scholar) भी रहे।
- स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल (Stanford Law School) से Doctor of the Science of Law और Master of the Science of Law की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
कानूनी करियर और अनुभव
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, अभिनव चंद्रचूड़ ने अमेरिका की प्रतिष्ठित गिब्सन, डन एंड क्रचर (Gibson, Dunn & Crutcher) लॉ फर्म में एसोसिएट अटॉर्नी (Associate Attorney) के रूप में काम किया। कुछ वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय कानूनी अनुभव प्राप्त करने के बाद, वे भारत लौट आए और बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में प्रैक्टिस शुरू की।
लेकिन जब उनके पिता 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने, तो उन्होंने नैतिक कारणों से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करने का फैसला किया।
अब, उनके पिता की सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी वापसी रणवीर इलाहाबादिया के केस से की, जिसने उन्हें कानूनी हलकों में एक मजबूत पहचान दिलाई।
रणवीर इलाहाबादिया केस में अभिनव चंद्रचूड़ की भूमिका
रणवीर इलाहाबादिया का विवादित मामला, जिसमें यूट्यूब शो “इंडियाज गॉट लाटेंट” में माता-पिता के निजी संबंधों पर टिप्पणी की गई थी, काफी संवेदनशील था। उनके खिलाफ आईटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत कई राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां रणवीर को कुछ राहत तो मिली, लेकिन कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई।
इस केस में अभिनव चंद्रचूड़ की पैरवी ने कानूनी हलकों में काफी ध्यान आकर्षित किया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी रणनीति और कानूनी दलीलों ने उन्हें एक सक्षम और प्रभावशाली वकील के रूप में स्थापित किया।
कानूनी लेखन और योगदान
अभिनव चंद्रचूड़ सिर्फ एक वकील ही नहीं, बल्कि एक गहरे शोधकर्ता और लेखक भी हैं। उन्होंने भारतीय संविधान, न्यायिक स्वतंत्रता, और नागरिक अधिकारों पर कई महत्वपूर्ण किताबें और लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी कानूनी मुद्दों को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करती है, जिससे वे न केवल वकीलों और जजों बल्कि आम जनता के लिए भी उपयोगी साबित होते हैं।
उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं:
- Supreme Whispers: Conversations with Judges of the Supreme Court of India (2018)
- Republic of Rhetoric: Free Speech and the Constitution of India (2020)
- An Independent Colonial Judiciary (2015)
रणवीर इलाहाबादिया केस और सुप्रीम कोर्ट में नई शुरुआत
रणवीर इलाहाबादिया केस ने सुप्रीम कोर्ट में अभिनव चंद्रचूड़ की नई पारी का आगाज़ किया। यह मामला उनके लिए सिर्फ एक केस नहीं था, बल्कि एक अवसर था—अपनी योग्यता साबित करने और अपने परिवार की न्यायिक विरासत में एक नया अध्याय जोड़ने का।
इस केस के जरिए यह साफ हो गया कि अभिनव चंद्रचूड़ भारतीय कानूनी प्रणाली के भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे न केवल अपनी वकालत से, बल्कि अपने लेखन और शोध से भी भारतीय न्यायपालिका में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।
रणवीर इलाहाबादिया केस केवल उनकी सुप्रीम कोर्ट वापसी की शुरुआत है—आने वाले वर्षों में वे भारतीय न्यायिक प्रणाली में और भी प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं।
ये भी पढ़ें… रणवीर इलाहाबादिया केस: सुप्रीम कोर्ट की फटकार और गिरफ्तारी पर राहत
ऐसी खबरों के लिए हमें फॉलो करें:-https://indiabriefs.com/